(अपडेट) भारत की सनातन आध्यात्मिक परंपरा की नींव ऋषि-मुनियों की तपस्या और ध्यान साधना पर आधारित : उपराष्ट्रपति

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(अपडेट) भारत की सनातन आध्यात्मिक परंपरा की नींव ऋषि-मुनियों की तपस्या और ध्यान साधना पर आधारित : उपराष्ट्रपति


नई दिल्ली, 7 दिसंबर। उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने रविवार को गुरुग्राम स्थित ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर के रजत जयंती वर्ष समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत की सनातन आध्यात्मिक परंपरा की नींव ऋषि-मुनियों की तपस्या और ध्यान साधना पर आधारित है।

उपराष्ट्रपति सचिवालय के अनुसार, राधाकृष्णन ने कहा कि 24 वर्ष पूर्व स्थापित यह केंद्र अब सेवा के 25वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और यह गर्व की बात है कि ब्रह्माकुमारीज संस्था महिलाओं के नेतृत्व में देश के आध्यात्मिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक, चिकित्सक, प्रशासक और राजनेता सहित विभिन्न क्षेत्रों के लोग इस केंद्र से जुड़कर ध्यान और शांति का संदेश ग्रहण कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राजयोग और विपश्यना जैसी साधनाएं यह सिद्ध करती हैं कि वास्तविक शक्ति और स्पष्टता व्यक्ति के भीतर से आती है। उन्होंने कहा कि अमृतकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प के तहत आंतरिक शांति, प्रसन्नता और संतुलन को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा।

राधाकृष्णन ने ओम शांति रिट्रीट सेंटर की पर्यावरण संरक्षण पहलों की सराहना की और कहा कि यह केंद्र प्रधानमंत्री की मिशन लाइफ पहल के अनुरूप कार्य कर रहा है। उन्होंने 1 मेगावाट हाइब्रिड सौर परियोजना, वर्षा जल संचयन, बायोगैस संयंत्र, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, ग्रीन किचन और वृक्षारोपण जैसे प्रयासों की प्रशंसा की।

उपराष्ट्रपति ने नशामुक्त भारत, वरिष्ठ नागरिक सम्मान और कर्मयोग को बढ़ावा देने में ब्रह्माकुमारीज के योगदान की भी सराहना की। साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा लखनऊ में शुरू किए गए ‘राजयोग ध्यान द्वारा विश्व एकता और विश्वास’ अभियान का उल्लेख करते हुए विश्वास जताया कि रजत जयंती वर्ष समाज और आध्यात्मिक जागरण के नए आयाम स्थापित करेगा।

कार्यक्रम में हरियाणा सरकार के पर्यावरण और उद्योग मंत्री राव नरबीर सिंह सहित ब्रह्माकुमारीज संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।-----------

हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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