डॉ. आंबेडकर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से इनकार कर दिया था, खुशी है कि यह अब संविधान में नहीं है : उपराष्ट्रपति

WhatsApp Channel Join Now
डॉ. आंबेडकर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से इनकार कर दिया था, खुशी है कि यह अब संविधान में नहीं है : उपराष्ट्रपति


नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. बीआर आंबेडकर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि खुशी है कि यह अब हमारे संविधान में नहीं है।

उपराष्ट्रपति ने आज भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) की आम सभा की 69वीं वार्षिक बैठक को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत के लौह पुरुष के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सभी राज्यों का सफल एकीकरण सरदार पटेल द्वारा हासिल की गई एक बड़ी उपलब्धि थी। धनखड़ ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों के एकीकरण का काम सरदार वल्लभभाई पटेल को सौंपा गया था और हम जानते हैं कि हमें किस समस्या का सामना करना पड़ा था।'' उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से अब चीजें पटरी पर हैं और वैश्विक मान्यता मिल रही है।

यह देखते हुए कि मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. बीआर आंबेडकर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से इनकार कर दिया था, उपराष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त की कि यह अब हमारे संविधान में नहीं है। यह उल्लेख करते हुए कि अनुच्छेद 35-ए जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के लाभ से वंचित करता है। उन्होंने कहा कि लोग पहली बार लोकतांत्रिक भारतीय शासन और इसके लाभों से अवगत हुए हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि आईआईपीए का हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में प्रभाव होना चाहिए, उपराष्ट्रपति ने संगठन से देश के हर हिस्से में, खासकर जिला स्तर पर अपनी पहुंच बनाने को कहा, क्योंकि बड़े बदलाव जिला स्तर पर ही होते हैं। इस संबंध में स्व-लेखापरीक्षा का आह्वान करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी संस्था को ख़राब करने का सबसे अच्छा तरीका इसे जांच और आत्म-निरीक्षण से दूर रखना है।

उपराष्ट्रपति ने आज संसद को संवाद, बहस, विचार-विमर्श और चर्चा के लिए एक पवित्र सदन बताया। उन्होंने देश के भीतर हमारे घरेलू कच्चे माल के मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित करने की अनिवार्यता पर जोर दिया और कहा कि यह 'अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर' होगा। उन्होंने 2047 तक वैश्विक नेता के रूप में भारत की स्थिति को सुरक्षित करने की कुंजी के रूप में इस दृष्टिकोण की कल्पना की। उन्होंने कहा कि इस योगदान के कई सकारात्मक परिणाम होंगे, क्योंकि 'सरकार कराधान से कमाई करेगी, लोगों को रोजगार मिलेगा और उद्यमिता फलेगी-फूलेगी।'

कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर राष्ट्रीय एकता दिवस की शपथ भी दिलाई। उन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता के लिए पॉल एच. एप्पलबी पुरस्कार और डॉ. राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्रदान किए और कई प्रकाशन जारी किए।

केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए-ईसी के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह, आईआईपीए के महानिदेशक सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी, आईआईपीए के रजिस्ट्रार अमिताभ रंजन, संकाय सदस्य और अन्य गण्यमान्य व्यक्ति भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story