मथुरा और काशी के लिए आन्दोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी : दिनेशचन्द्र

मथुरा और काशी के लिए आन्दोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी : दिनेशचन्द्र
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मथुरा और काशी के लिए आन्दोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी : दिनेशचन्द्र


-तीन नहीं तो तीस हजार अब न बचेगी एक मजार

अयोध्या, 29 जनवरी (हि.स.)। जन्मभूमि पर राम मंदिर के निर्माण से भारत का सांस्कृतिक स्वरूप उभरकर सामने आया है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए आन्दोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुझे लगता है कि यह दोनों मामले कोर्ट से जल्द हल हो जायेंगे।

यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक व विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक दिनेशचन्द्र ने हिन्दुस्थान समाचार से साक्षात्कार के दौरान कही। दिनेशचन्द्र संघ के प्रान्त प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक, संयुक्त क्षेत्र प्रचारक रहे हैं। इसके बाद विश्व हिन्दू परिषद के लम्बे समय तक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे हैं। 1992 की कारसेवा के एक दिन का नेतृत्व भी आपने किया है। प्रस्तुत है विहिप के संरक्षक दिनेशचन्द्र से हिन्दुस्थान समाचार के वरिष्ठ संवाददाता बृजनन्दन राजू की बातचीत के संक्षिप्त अंश।

प्रश्न : विश्व हिन्दू परिषद के संगठन मंत्री के नाते राम मंदिर आन्दोलन में आपकी प्रमुख भूमिका रही है। रामलला अपने भव्य दिव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं आप कैसा अनुभव कर रहे हैं आप ?

उत्तर : 22 जनवरी 2024 को रामलला की उसी स्थान पर जहाँ राम ने जन्म लिया था उसी स्थान पर विग्रह स्थापित हुआ है। जैसे कभी त्रेतायुग में जिस प्रकार का वातावरण रहा होगा उस तरह का इस कलियुग में त्रेतायुग उतर आया है ऐसा लगता है। सर्वत्र आनंद ही आनंद है। लोग आनंदोत्सव मना रहे हैं। केवल अयोध्या में ही नहीं गांव-गांव घर -घर में हर मंदिर में हर व्यक्ति के मन में आनंद हैं। भारत ही नहीं तो पूरी दुनिया के हिन्दू खुशी मना रहे हैं।

भारत का कोई भी समाज हो। संतों में जो परम्पराएं हैं सभी सम्प्रदायों में किसी भी रूप में हो। सिख, जैन, बौद्ध आर्य समाजी, सनातनी या शैव वगैरह तथा समाज का कोई भी जाति वर्ग हो सब आनंदित हैं। देश के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से लोग उपहार रामजी के लिए ला रहे हैं।

प्रश्न : जब राम मंदिर आन्दोलन शुरू हुआ उस समय ऐसा लगता था कि इतनी जल्दी सफलता मिल जायेगी ?

उत्तर : मंदिर तो बनना ही था। श्रद्धेय अशोक सिंहल के मन में बहुत स्पष्ट था कि कभी न कभी तो यह काम होना ही है। इसलिए राम मंदिर के लिए जनजागरण और आन्दोलन का काम जारी रखा। मंदिर के लिए एक बार नहीं तो दो -दो बार कारसेवा की। अनेक यात्राएं निकाली। फिर राम मंदिर का माडल बनवाकर 1990 से उन्होंने पत्थर तराशने का काम शुरू करवा दिया। आज वही पत्थर मंदिर के निर्माण में काम आये। इसलिए इतनी जल्दी बन रहा है नहीं तो तीन चार साल पहली मंजिल बनने में ही लग जाता। क्योंकि पत्थर का काम कठिन होता है और पत्थर तराशने में समय भी लगता है। आन्दोलन में संत समाज विहिप के साथ था। जिसके कारण समाज में जाग्रति आयी वातावरण बना और उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुकूल निर्णय आ गया।

प्रश्न : अशोक सिंहल की स्मृति में कोई स्मारक या सेवाकार्य शुरू करने की योजना है क्या ?

उत्तर : श्रद्धेय अशोक सिंहल की स्मृति तो अपने आप चारों ओर बिखर रही है। हर कोई अशोक जी का स्मरण कर रहा है। राम मंदिर बनने के बाद शेष परिसर में महर्षि वाल्मीकि की रामायण से लेकर और जितनी भी भारत की भाषााओं में रामायण है उसका संग्रहालय बनेगा। इसके अलावा राम मंदिर के लिए जो 500 वर्षों में चार लाख से अधिक हिन्दू बलिदान हुए जिनमें पूज्य संतों का भी बलिदान हुआ। समाज में उनकी स्मृति बनी रहे कि इतने बलिदानों के बाद मंदिर बना इसलिए बलिदानी रामभक्तों की स्मृति में एक स्मारक भी बनाया जायेगा।

प्रश्न : राम मंदिर बनने के बाद ट्रस्ट की ओर से कोई सेवा का कार्य शुरू करने की योजना है क्या?

उत्तर : यह निर्णय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को करना है। विहिप पहले से सेवा कार्य कर रही है। अयोध्या में यात्री निवास बनाने का विचार था। उसके लिए

अशोक सिंहल ने भूमि खरीदी थी। आज उसी जगह पर रामसेवकपुरम में निर्माण कार्य शुरू हो गया है।

प्रश्न : वेदों के उत्थान को लेकर अशोक सिंहल प्रयत्नशील रहते थे। आज उस दिशा में कितना काम हो रहा है?

उत्तर : अशोक सिंहल की प्रेरणा से बड़ी संख्या में वेद विद्यालय चल रहे हैं। वेद मंत्र को सस्वर और जो उनकी पद्धति है उस आधार पर कंठस्थ करने वालों की अच्छी संख्या खड़ी हो गयी है। आगे चलकर हम गुरूग्राम में वेद विश्वविद्यालय बनाने वाले हैं। इसके लिए जमीन ले ली गयी है। मास्टर प्लान भी बन गया है। 20 एकड़ के परिसर में वेदों की सभी शाखाओं का अध्ययन अध्यापन होगा। अशोक सिंहल ने कहा था कि महर्षि महेश योगी ने हालैण्ड में अमेरिका में वेद विश्वविद्यालय खड़े किये हैं तो उनका सहयोग लेना चाहिए। उनसे बातचीत शुरू हो गयी है।

प्रश्न : विश्व हिन्दू परिषद अब किन मुद्दों पर काम करेगी ?

उत्तर : विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना के समय 1964 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरूजी ने जो विषय प्रतिपादित किये थे उन्हीं सब विषयों को लेकर जो आन्दोलन के कारण विषय छूट रहे थे उन विषयों को लेकर विहिप तेजी के साथ बढ़ रही है। विहिप का उद्देश्य हिन्दू समाज को संगठित करना,हिन्दू धर्म की रक्षा करना और समाज की सेवा करना है। संगठन की मूल प्रकृति सेवा है। अब सेवा के क्षेत्र में विहिप तेजी से कदम बढ़ायेगी।

प्रश्न : क्या विहिप मथुरा व काशी के लिए भी आन्दोलन करेगी ?

उत्तर : शुरू से ही विहिप व संतों की मांग थी कि हमें अयोध्या, मथुरा और काशी यह तीन स्थान दे दीजिए। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने तो नारा भी लगाया था कि तीन नहीं तो तीस हजार अब न बचेगी एक मजार।

मुझे नहीं लगता कि जैसे राम मंदिर के लिए आन्दोलन व सड़कों पर उतरना पड़ा वैसे काशी विश्वनाथ व मथुरा के लिए आन्दोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी। कोर्ट से ही इसका निपटारा हो जायेगा। क्योंकि कोर्ट सत्य तथ्य देखता है। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनी है इसके तथ्य भी सामने आ रहे हैं।

प्रश्न : राम मंदिर निर्माण का समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

उत्तर : राम मंदिर निर्माण से भारत का सांस्कृतिक स्वरूप उभरकर सामने आया है। सांस्कृतिक स्वरूप उभरकर आयेगा तभी भारत विश्वगुरू बन पायेगा। राजनीतिक दृष्टि से उभरने से भारत जगदगुरू नहीं बनेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद तथा अन्य संगठनों ने जो प्रयास किये हैं उसके कारण हिन्दुओं में जागृति आयी हैं। अब हिन्दू अपने अधिकार लेकर रहेगा और आत्मसम्मान व स्वाभिमान के साथ जियेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन

/पदुम नारायण

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