विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर 8-13 सितंबर तक सऊदी अरब, जर्मनी और स्विट्जरलैंड की यात्रा पर रहेंगे
नई दिल्ली, 07 सितंबर (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 8 से 13 सितंबर तक सऊदी अरब, जर्मनी और स्विट्जरलैंड की यात्रा पर रहेंगे।
विदेश मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान जारी कर विदेश मंत्री जयशंकर की तीन देशों की छह दिवसीय यात्रा के विषय में जानकारी साझा की। इसमें कहा गया है कि विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 8 से 9 सितंबर तक सऊदी अरब के रियाद की यात्रा करेंगे, जहां वे प्रथम भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे। यात्रा के दौरान, उनके जीसीसी सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है।
भारत और जीसीसी के बीच राजनीतिक, व्यापार और निवेश, ऊर्जा सहयोग, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों सहित कई क्षेत्रों में गहरे और बहुआयामी संबंध हैं। जीसीसी क्षेत्र भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरा है और यहां लगभग 8.9 मिलियन की संख्या में भारतीय प्रवासी समुदाय का एक बड़ा समूह रहता है। विदेश मंत्रियों की बैठक भारत और जीसीसी के बीच विभिन्न क्षेत्रों में संस्थागत सहयोग की समीक्षा करने और उसे गहरा करने का एक अवसर होगी।
यात्रा के दूसरे चरण में विदेश मंत्री 10-11 सितंबर तक दो दिवसीय यात्रा के लिए बर्लिन, जर्मनी जाएंगे। यह बर्लिन की उनकी तीसरी द्विपक्षीय यात्रा होगी। भारत और जर्मनी दोनों एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं और जर्मनी भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में से एक है और सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेशकों में से एक है। इस यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जर्मन संघीय विदेश मंत्री के साथ-साथ जर्मन सरकार के नेतृत्व और अन्य मंत्रियों से मुलाकात करेंगे, जिसका उद्देश्य भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा करना है।
इसके बाद विदेश मंत्री 12-13 सितंबर को आधिकारिक यात्रा के लिए जिनेवा, स्विटजरलैंड की यात्रा करेंगे। जिनेवा में बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र निकाय और अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं। यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री उन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों से मिलेंगे जिनके साथ भारत सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है।
यात्रा के दौरान विदेश मंत्री स्विस विदेश मंत्री से भी मुलाकात करेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी की समीक्षा की जा सके तथा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने के अवसर तलाशे जा सकें।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार
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