विकास व पर्यावरण संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन बनाने की जरूरत: उपराष्ट्रपति

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विकास व पर्यावरण संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन बनाने की जरूरत: उपराष्ट्रपति


विकास व पर्यावरण संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन बनाने की जरूरत: उपराष्ट्रपति


विकास व पर्यावरण संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन बनाने की जरूरत: उपराष्ट्रपति


































































































- वन अनुसंधान संस्थान के कार्यक्रम में शामिल हुए उपराष्ट्रपति

देहरादून, 27 अक्टूबर (हि. स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यहां विकास और संरक्षण के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सभी पर पड़ेगा, जो कोविड चुनौती से कहीं अधिक गंभीर है। इसके समाधान के लिए एक देश नहीं बल्कि सभी देशों को एक साथ तत्काल काम करना होगा। हमारे नागरिकों की विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमारे जंगल फलते-फूलते रहें।

उपराष्ट्रपति धनखड़ यहां वन अनुसंधान संस्थान (एफआईआर) में वनों पर संयुक्त राष्ट्र मंच-भारत की पहल पर आयोजित कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह ग्रह हमारा नहीं है और हमें इसे आने वाली पीढ़ियों को सौंपना होगा। उन्होंने जैव विविधता के पोषण और संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हम अपने लापरवाह दृष्टिकोण और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ अपनी भावी पीढ़ियों के साथ समझौता नहीं कर सकते। सतत विकास और जलवायु परिवर्तन पर काबू पाना सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। यदि विकास टिकाऊ नहीं है तो इस ग्रह पर जीवित रहना मुश्किल होगा।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने समाधान खोजने के लिए सभी ऊर्जा और सभी संसाधनों को इकट्ठा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोविड की तरह, जो दुनिया के हर हिस्से के लिए एक गैर-भेदभावपूर्ण चुनौती थी, जलवायु परिवर्तन कोविड चुनौती से कहीं अधिक गंभीर और गंभीर है। उपराष्ट्रपति ने पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए समन्वित वैश्विक रुख को एकमात्र विकल्प बताया। समाधान खोजने के लिए युद्धस्तर पर देशों को एकजुट होना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे वन केवल एक संसाधन नहीं हैं बल्कि देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत को भी समाहित करते हैं। उन्होंने अमृत काल में अमृत सरोवर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की दिशा में भारत की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों को सूचीबद्ध किया। 2030 तक हमारी आधी बिजली नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न होगी। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को एक दूरदर्शी पहल बताया।

इस मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमित सिंह, चंद्र प्रकाश गोयल, महानिदेशक वन, जूलियट बियाओ कौडेनौक पीओ, निदेशक, यूनिसेफ, बिवाश रंजन, अतिरिक्त महानिदेशक वन, भरत लाल, महानिदेशक, आईसीएफआरई और विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सम्मानित प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

/सुनील

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