सामाजिक परिवर्तन के लिए ज्ञान-शिक्षा प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि अत्यंत आवश्यक सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए ज्ञान और शिक्षा सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र हैं। उन्होंने कहा कि जब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो तो असमानता और समानता सुनिश्चित होती है।
उपराष्ट्रपति ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के संकाय सदस्यों और छात्रों के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा पर गंभीर प्रयास और फोकस किया गया है।
शिक्षा क्षेत्र में आईआईटी के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आईआईटी ने भारत की विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आईआईटी आज देश भर में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त ब्रांड हैं। आईआईटी एक ऐसी भट्ठी है, जिसमें भारत और दुनिया को बदलने वाले दिमाग तैयार किए जाते हैं। भारत और दुनिया भर के प्रमुख संगठनों के नेता गर्व से आईआईटी का बैज पहनते हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी में गांव के लोग आते हैं, साधारण पृष्ठभूमि के लोग आते हैं, बड़ी मुश्किल से यहां तक पहुंचे लोग आते हैं। लेकिन बाहरी दुनिया को एक अलग ही धारणा बेची जाती है! कुछ ताकतें हैं जो भारत और उसके संस्थानों की छवि खराब करने के लिए झूठी बातें फैला रही हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेरे सामने सभी छात्र पैदल सैनिक हैं। आप 2047 के भारत के योद्धा हैं। 2047 तक पहुंचते-पहुंचते आप भारत की नियति को आकार दे देंगे। भारत विरोधी सभी आख्यानों को निष्प्रभावी करना आपकी जिम्मेदारी है और इसे सतर्क तरीके से करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वे दिन गए जब भारतीय प्रधानमंत्री को अलग तरह से लिया जा सकता था। वह अब विश्व नेता हैं! उनकी आवाज़ सुनी जाती है, निर्णय लेने में उनकी सलाह बार-बार आती है।
धनखड़ ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के लिए 6000 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी दी। यह मिशन क्वांटम प्रौद्योगिकी के नेतृत्व में आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए भारत के लिए एक क्वांटम छलांग है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे कनेक्टेड लोकतंत्र में, हमारे पास 120 करोड़ से अधिक मोबाइल कनेक्शन हैं। हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारी जनसांख्यिकी, हमारा युवा जनसांख्यिकीय घटक है। दुनिया इससे ईर्ष्या कर रही है। यह हमारे विकास इंजन को तेजी से ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए 19000 करोड़ के प्रारंभिक परिव्यय को मंजूरी दी गई है। इसका उद्देश्य स्पष्ट ऊर्जा स्रोत के रूप में हरित हाइड्रोजन की तैनाती में तेजी लाना है। इससे लगभग 8 लाख करोड़ का निवेश आने और 6 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक राष्ट्रवाद हमारे देश के विकास के लिए मौलिक है। देश में कच्चे माल के उपयोग पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने कच्चे माल का मूल्य क्यों नहीं बढ़ाना चाहिए? यदि हमारा कच्चा माल दूसरे देश में जाता है तो यह एक प्रकार से हमारी असफलता की पहचान है कि हम वह नहीं कर पाते जो दूसरे उसे प्राप्त करने के बाद करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल
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