(अपडेट) समानता के मुद्दे पर भारत को किसी से उपदेश की जरूरत नहीं : उप राष्ट्रपति

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(अपडेट) समानता के मुद्दे पर भारत को किसी से उपदेश की जरूरत नहीं : उप राष्ट्रपति


- कुछ देशों में अभी भी महिला राष्ट्रपति नहीं है, हमारे यहां बहुत पहले ही महिला प्रधानमंत्री थीं

देहरादून, 5 अप्रैल (हि.स.)। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि भारत को समानता के मुद्दे पर इस ग्रह पर किसी से उपदेश की आवश्यकता नहीं है। देशों से अपने भीतर झांकने का आह्वान करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कुछ देशों में अभी तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं है जबकि हमारे यहां ब्रिटेन से भी पहले एक महिला प्रधानमंत्री थीं। अन्य देशों में सुप्रीम कोर्ट ने बिना महिला जज के 200 वर्ष पूरे कर लिये लेकिन हमारे यहां है।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में उनके व्यावसायिक पाठ्यक्रम के चरण-एक के समापन पर 2023 बैच के आईएएस अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने युवा दिमाग से ऐसे तथ्यात्मक रूप से अस्थिर राष्ट्र विरोधी आख्यानों के रणनीतिक आयोजन का खंडन करने का आह्वान किया। उप राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में शासन व्यवस्था बेहतर हुई है। लोकतांत्रिक मूल्य और सार गहरा हो रहा है, क्योंकि कानून के समक्ष समानता को अनुकरणीय तरीके से लागू किया जा रहा है और भ्रष्टाचार अब एक व्यापारिक वस्तु नहीं रह गया है। पहले यह अनुबंध, भर्ती, अवसर तक पहुंचने का एकमात्र तंत्र था। उप राष्ट्रपति ने कहा कि देश को निराशा से बाहर निकाला गया है। भारत आशा और संभावना की भूमि बन गया है। यह कहते हुए कि पूरे देश में उत्साह का माहौल है। भारत की वैश्विक छवि बढ़ रही है।

अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने आईएएस परिवीक्षार्थियों से कहा कि लोग उन्हें आदर्श के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि आपको ऐसे कार्यों से मिसाल पेश करनी होगी, जो अनुकरणीय हों। युवा दिमागों को प्रेरित करें और किसी भी क्षमता में बड़ों की प्रशंसा प्राप्त करें। सभ्यतागत मूल्यों को अपना मार्गदर्शक सिद्धांत बताते हुए उप राष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों से सेवा-भाव और समानुभूति-सेवा और सहानुभूति की भावना के साथ काम करने को कहा।

नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में फैलाई जा रही झूठी कहानी और गलत सूचना के प्रति आगाह करते हुए धनखड़ ने रेखांकित किया कि सीएए न तो किसी भी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित करना चाहता है और न ही यह पहले की तरह किसी को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से रोकता है। यह सीएए पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण की सुविधा प्रदान करता है। सीएए उन लोगों पर लागू होता है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह आमद का निमंत्रण नहीं है। हमें इन आख्यानों को बेअसर करना होगा। ये अज्ञानता से नहीं बल्कि देश को बर्बाद करने की रणनीति से उत्पन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना की उपलब्धि पर प्रत्येक भारतीय को गर्व है।

धनखड़ ने कहा कि शायद ही कोई सप्ताह गुजरता हो, जब भारतीय नौसेना ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को बचाने या समुद्री डकैती के पीड़ितों को बचाने के लिए काम नहीं किया हो। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को उनकी उपलब्धि पर गर्व होगा।

इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक श्रीराम तरणीकांति आदि उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/दधिबल

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