डॉ. मनमोहन सिंह को वनवासी कल्याण आश्रम की श्रद्धांजलि, वनाधिकार कानून के लिए किए जाएंगे याद
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि वनवासी समाज के प्रति संवेदनशीलता के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। प्रधानमंत्री रहते उन्होंने सन् 2006 में वनाधिकार कानून बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह की ओर से प्रेषित शोक संदेश में कहा गया है कि डॉ. मनमोहन सिंह जनजाति समाज की समस्याओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता के लिए भी याद रखे जाएंगे। जनजाति समाज पर हुए ऐतिहासिक अन्याय के परिमार्जन के लिए 2006 में बनाए गए वनाधिकार कानून को बनाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। जनजाति समाज के सुनियोजित शोषण पर भी उन्होंने कई बार चिंता व्यक्त की थी। डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम शोक व्यक्त करते हुए उनकी स्मृति को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
शोक संदेश में कहा गया है कि देश ने आर्थिक विकास को गति देने वाला एक महान अर्थशास्त्री खो दिया है।
प्रारंभ से ही अर्थशास्त्र विषय में अपना कैरियर बनानेवाले डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए जो कदम उठाए, इसी कारण उन्हें आर्थिक विकास के प्रणेता के रूप में मान्यता मिली थी।
वर्ष 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह को देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। प्रतिकूल परिस्थिति में अनेक संकटों का सामना कर लगभग 10 वर्ष के अपने कार्यकाल में उन्होंने देश के विकास की दृष्टि से अनेक उपयुक्त कदम उठाए थे, जिन्हें संपूर्ण देश हमेशा याद रखेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी