वनवासी कल्याण आश्रम ने दिल्ली में नवनिर्वाचित जनजातीय सांसदों को किया सम्मानित
नई दिल्ली, 6 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने मंगलवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हॉल में आयोजित नवनिर्वाचित जनजातीय सांसद स्नेह मिलन एवं सम्मान समारोह में देशभर के नवनिर्वाचित जनजातीय सांसदों को सम्मानित किया।
इस मौके पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए अलग से जनजातीय कार्य मंत्रालय के गठन का श्रेय दिया। उन्होंने द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने को समस्त जनजातीय समाज के लिए गर्व की बात बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जनजातीय समाज की शिक्षा पर जोर का उल्लेख करते हुए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय के लिए भरपूर बजट देने और विद्यालयों के निर्माण का जिक्र किया। उन्होंने इस कार्य में राज्य सरकारों के साथ-साथ सभी सांसदों से सहयोग करने का भी आग्रह किया। मंत्री ने सीमित सरकारी नौकरी का हवाला देते हुए जनजातीय समाज से आने वाले युवाओं को कौशल आधारित शिक्षा से जोड़कर रोजगार देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने समाज में कौशल विकास को बढ़ावा देने पर बल दिया।
वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा ने उपस्थित सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज को साथ लेकर चलना चाहिए। चुनकर आने पर उनको भूलना नहीं चाहिए। युवाओं की शिक्षा और उनके कौशल विकास के लिए सभी सांसदों ने अपने अपने क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता, सरकारी योजनाओं की जानकारी अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों तक पहुंचाना चाहिए। हमें जनता से दूर नहीं जाना चाहिए। जनसम्पर्क टूटना नहीं चाहिए। लोगों का विश्वास सम्पर्क एवं संवाद से ही संभव है। कार्यकर्ताओं का विश्वास बनाये रखने की अत्यंत ज्यादा आवश्यकता है।
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने कहा कि विकास के साथ-साथ जनजाति समाज के जीवन मूल्यों, आस्था और परंपराओं को महत्व मिलना चाहिए। जनजाति समाज प्रकृति से उतना ही लेता है जितना भवरें फूलों से मध ले लेते हैं। जनजाति समाज को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वनाधिकार मिलने के लिए सभी को प्रयत्न करना चाहिए। आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर हम सभी को समुचित विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस को एक अंतरराष्ट्रीय षड़यंत्र बताते हुए कहा कि यह भारतीय समाज और उसकी सह-अस्तित्व की भावना को क्षति पहुंचाने का प्रयास है। राष्ट्रीय सुरक्षा एवं संप्रभुता के लिए वह खतरा है।
इस मौके पर जनजातीय राज्यमंत्री दुर्गादास उइके, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य, कल्याण आश्रम के महामंत्री योगेश बापट, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष हर्ष चौहान, भारतीय जनता पार्टी के संगठक वी. सतीश और वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अतुल जोग आदि मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार / प्रभात मिश्रा
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