सिलक्यारा सुरंग में 6 इंच की पाइपलाइन बिछाकर सेकेंडरी लाइफ लाइन बनने में मिली सफलता

सिलक्यारा सुरंग में 6 इंच की पाइपलाइन बिछाकर सेकेंडरी लाइफ लाइन बनने में मिली सफलता
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सिलक्यारा सुरंग में 6 इंच की पाइपलाइन बिछाकर सेकेंडरी लाइफ लाइन बनने में मिली सफलता


उत्तरकाशी, 20 नवम्बर (हि.स.)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा सुरंग में चल रहे रेस्क्यू अभियान में जुटी एजेंसियों को नौवें दिन एक महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। यानी सुरंग के अवरुद्ध हिस्से में 6 इंच की पाइपलाइन बिछाकर सेकेंडरी लाइफ लाइन बनाने में जुटी राहत और बचाव कार्य एजेंसी को सफलता मिल गयी है। अब इसके लिए की जा रही ड्रिलिंग को पूर्ण कर मलबे के आर-पार 53 मीटर लंबी पाइपलाइन डाल कर इसके जरिये सुरंग में फंसे श्रमिकों तक खाद्य सामग्री पहुंचाने की तैयारी की जा रही है।

सोमवार सायं लगभग साढ़े चार बजे एनएचएआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको, जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला और टनल के भीतर संचालित रेस्क्यू अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने मीडिया को यह जानकारी देते हुए बताया कि गत नौ दिनों से चल रहे रेस्क्यू की इस पहली कामयाबी के बाद श्रमिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकालने के अहर्निश प्रयास तेजी से संचालित किए जाएंगे।

सुरंग में फंसे श्रमिकों के जीवन की रक्षा के लिए अबतक 4 इंच की पाइपलाइन ही लाइफलाइन बनी हुई थी। अब सेकेंड्री लाइफ लाइन के तौर पर छह इंच व्यास की पाइप लाइन मलबे के आर-पार बिछा दिए जाने के बाद श्रमिकों तक बड़े आकार की सामग्री व खाद्य पदार्थ, दवाएं और अन्य जरूरी साजो सामान के साथ ही संचार के उपकरण भेजने में सहूलियत होगी। इससे अंदर फंसे श्रमिकों के जीवन को सुरक्षित बनाये रखने का भरोसा कई गुना बढ़ा है। इस सुखद और अच्छी खबर के बाद श्रमिकों और उनके परिजनों साथ ही रेस्क्यू के मोर्चों पर टीमों में खुशी और उत्साह देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही रेस्क्यू के अन्य विकल्पों को लेकर अब उम्मीदें उफान पर हैं।

इस बीच उत्तराखंड शासन के सचिव डॉ. नीरज खैरवाल ने आज परियोजना व जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ सुरंग का निरीक्षण कर रेस्क्यू अभियान का जायजा लिया और सेकेंडरी लाइफलाइन बनाने के काम को सफलतापूर्वक पूरा करने पर रेस्क्यू में जुटे लोगों को बधाई दी।

गौरतलब है कि रविवार 12 नवंबर को सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा गिरने से इसके मलबे 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें सुरंग से निकालने की विभिन्न एजेंसियां कोशिशें कर रही हैं। इसमें कई राज्यों के मजदूर शामिल हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/चिरंजीव सेमवाल/रामानुज

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