टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड बोले, वर्टिकल ड्रिलिंग से निकलेगी सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की राह
-डिक्स ने कहा, भरोसा रखें 41 आदमी घर आने वाले हैं, यही हमारा मिशन
-रेस्क्यू को पहुंचा डीआरडीओ का रोबोट
उत्तरकाशी, 21 नवम्बर (हि.स.)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल से 10वें दिन में भरोसा और पक्का हो गया। इस सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने की मुहिम को धार कैसे दी जाएगी, इसकी जानकारी अंतरराष्ट्रीय टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने दी।
अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ, अर्नोल्ड डिक्स उम्मीद की किरण लेकर आए हैं। वे खुश हैं और उन्होंने अपनी खुशी का इजहार खुलकर किया है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ घंटे अच्छे रहे और मंगलवार की सुबह वाकई अच्छी है। बोले- पिछले कुछ घंटों में हमें जो खबर मिली है, वो निश्चित रूप से शानदार है...उन लोगों के चेहरे देखना बहुत अच्छा है, जिन्हें हम घर लाने जा रहे हैं। हमारे पास उनके लिए भोजन है और उनसे संपर्क साधना अब आसान है।
डिक्स ने 10वें दिन की सुबह को शुभ बताया। वजह है मजदूरों तक ड्राई फ्रूट्स के बाद खिचड़ी पहुंची फिर कैमरा पहुंचा। जिन्हें देखने को पूरा भारत तरस गया था, इसमें वो दिखे। सब कुशल मंगल है। परिवार ने भी कहा कि अब उम्मीद जगी है। डिक्स ने आगे कहा-हम अलग-अलग मोर्चों से भिड़े हुए हैं। ये एक अच्छी सुबह है। साइट तैयार होने के बाद वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हो जाएगी।
एक्सपर्ट रेस्क्यू टीम के काम से प्रसन्न दिखे। बोले- वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए जरूरी है कि वो सटीक हो... और मुझे लगता है कि यहां टीम ने अद्भुत काम किया है। यह शानदार है...वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए दो स्थानों की पहचान की गई है...विश्वास है कि हम इन लोगों को सकुशल बचा लेंगे। भरोसा रखें 41 आदमी घर आने वाले हैं, बिना किसी दिक्कत के और यही हमारा मिशन है।
सिलक्यारा में रेस्क्यू को पहुंचा डीआरडीओ का रोबोट
उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए डीआरडीओ का रोबोट पहुंच चुका है। क्योंकि जिस स्थान से ह्यूम पाइप के के लिए श्रमिकों को निकालने के लिए रास्ता बनाया जा रहा वहां भूस्खलन का भारी खतरा है। इसके लिए एक रोबोट की मांग की गई है जिसके लिए आपदा सचिव डा. रणजीत सिन्हा ने रोबोट के लिए प्रयास किया। इसके बाद डीआरडीओ यहां पर रोबोट ले लाया है।
गौरतलब है कि डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का आरएंड डी विंग है, जो अत्यधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत को सशक्त बनाने की दृष्टि के साथ है, जबकि हमारे सशस्त्र बलों को राज्य के साथ देश स्तर पर आधुनिक तकनीक, प्रौद्योगिकी, उपकरणाें और तकनीक से लैस करता है। तीनों सेनाओं की निर्धारित आवश्यकताओं के अनुसार हथियार प्रणाली और उपकरण उपलब्ध कराता है।
डीआरडीओ ने आत्मनिर्भरता से देश-दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। उसने मिसाइलों की अग्नि और पृथ्वी श्रृंखला जैसे रणनीतिक प्रणालियों और प्लेटफार्मों के सफल स्वदेशी विकास और उत्पादन; हल्के लड़ाकू विमान, तेजस मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, पिनाका वायु रक्षा प्रणाली, आकाश; रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की ; एक विस्तृत श्रृंखला आदि ने भारत की सैन्य ताकत को क्वांटम जम्प दिया है।
हिन्दुस्थान समाचार/चिरंजीव सेमवाल
/रामानुज
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