उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग हादसा : चार अलग-अलग एजेंसियां कर रहीं चार स्थानों से खुदाई

उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग हादसा : चार अलग-अलग एजेंसियां कर रहीं चार स्थानों से खुदाई
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उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग हादसा : चार अलग-अलग एजेंसियां कर रहीं चार स्थानों से खुदाई


उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग हादसा : चार अलग-अलग एजेंसियां कर रहीं चार स्थानों से खुदाई


-अलग-अलग विकल्पों पर हो रहा काम, पीएमओ राहत और बचाव अभियान पर लगातार रख रहा नजर

उत्तरकाशी,19 नवम्बर (हि.स.)। उत्तराखंड के जिला उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में फंसे हुए 41 श्रमिकों को बचाने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। रविवार को रेस्क्यू ऑपरेशन का 8वां दिन है और पहाड़ी के ऊपर से एक ''वर्टिकल होल'' बनाने के लिए ड्रिलिंग की जा रही है। ताजा जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अब विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से इन चार मोर्चों पर एकसाथ बचाव अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

पहले मोर्चे की जिम्मेदारी एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड) उठाएगा। वे सुरंग के ऊपर 120 मीटर लंबी और 1 मीटर चौड़ी वर्टिकल सुरंग के लिए खुदाई करेंगे। दूसरे मोर्चे की कमान नवयुगा इंजीनियरिंग संभालेगी। वे फिर से लगभग 60 मीटर लंबाई की सुरंग की खुदाई करेंगे।

तीसरा मोर्चा टीएचडीसी संभालेगी। वे भी विपरीत दिशा से लगभग 400 मीटर सुरंग की खुदाई करेंगे। चौथा मोर्चा ओएनजीसी उठाएगी। वे संभवतः नीचे से हॉरिजोंटल तरीके से सुरंग खोदेंगे।

उल्लेखनीय है कि एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड), ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड), टीएचडीसी और आरवीएनएल को जो जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है।

टनल के बाहर तैनात हैं 10 एंबुलेंस-

रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच टनल के बाहर 6 बिस्तरों वाला एक अस्थायी हॉस्पिटल भी तैयार किया गया है। टनल से मजदूरों के निकलने के बाद उन्हें तुरंत मेडिकल सुविधाएं मिल सकें, इसलिए टनल के बाहर 10 एंबुलेंस भी तैनात की गई हैं। दरअसल, डॉक्टरों ने सलाह दी है कि टनल से निकलने के बाद श्रमिकों को मानसिक-शारीरिक मार्गदर्शन की जरूरत होगी।

एक्सपर्ट्स ने बताया श्रमिकों का हाल-

मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंबे समय तक बंद जगह पर फंसे रहने के कारण पीड़ितों को घबराहट का अनुभव करना पड़ रहा होगा। इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता के कारण भी उनके शरीर पर विपरीत असर पड़ सकता है। ऐसी भी आशंका है कि लंबे समय तक ठंडे और भूमिगत तापमान में रहने के कारण उन्हें हाइपोथर्मिया भी हो सकता है और वे बेहोश हो सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/चिरंजीव सेमवाल/रामानुज

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