(अपडेट) आदित्य एल-1 सफलतापूर्वक अंतिम कक्षा में स्थापित, प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने दी इसरो को बधाई

(अपडेट) आदित्य एल-1 सफलतापूर्वक अंतिम कक्षा में स्थापित, प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने दी इसरो को बधाई
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(अपडेट) आदित्य एल-1 सफलतापूर्वक अंतिम कक्षा में स्थापित, प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने दी इसरो को बधाई


नई दिल्ली, 06 जनवरी (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला आदित्य-एल1 को पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है। शनिवार को लगभग 4 बजे अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल 1) में स्थापित कर दिया गया। एल1 बिंदु पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को इसरो के पहले सूर्य मिशन (आदित्य एल1) के सफलतापूर्वक अंतिम कक्षा में पहुंचने पर बधाई दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

इसके साथ केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को ट्वीट करते हुए कहा कि मून वॉक से लेकर सन डांस तक भारत के लिए यह साल कितना शानदार रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में टीम इसरो ने एक और सफलता की कहानी लिखी है। सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने एक्स पर इसरो को बधाई देते हुए कहा आदित्य एल1 को उसके निर्धारित गंतव्य पर सफलतापूर्वक पहुंचाकर इसरो ने भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक और मील का पत्थर हासिल किया है। राष्ट्र इस महत्वपूर्ण मिशन की सफलता के लिए हमारे समर्पित वैज्ञानिकों की वैज्ञानिक कौशल और प्रयासों की सराहना करता है, जो सूर्य के विभिन्न पहलुओं के बारे में मानवता की समझ को आगे बढ़ाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व से भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के अपने प्रयास में लगातार ऊंची उड़ान भर रहा है।

पांच महीने पहले किया गया था लांच:

भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य एल1 को 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सूर्य के अध्ययन के लिए लॉन्च किया गया था। आदित्य-एल 1 में सात पेलोड लगे हैं। इनमें से चार पेलोड ऐसे हैं, जो सूर्य की ओर बढ़ते समय पड़ने वाले असर को रिकॉर्ड करेंगे। आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक हैलो ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा (हैलो ऑर्बिट) में स्थापित उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के सूर्य को लगातार देख सकता है।

आदित्य एल1 मिशन का उद्देश्य:

आदित्य एल1 मिशन का उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है। आदित्य एल1 मिशन अगले पांच सालों तक अध्ययन करेगा। मिशन में सात वैज्ञानिक पेलोड (उपकरण) लेकर गया है। पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाने वाला इसरो का 5वां मिशन आदित्य एल1 मिशन स्पेसक्राफ्ट के पेलोड फ़ोटोस्फ़ेयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का अध्ययन करेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/दधिबल

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