धर्मसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ बोले, राष्ट्र के उत्थान में संन्यासियों का अभूतपूर्व योगदान

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धर्मसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ बोले, राष्ट्र के उत्थान में संन्यासियों का अभूतपूर्व योगदान


धर्मसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ बोले, राष्ट्र के उत्थान में संन्यासियों का अभूतपूर्व योगदान


हरिद्वार, 25 दिसम्बर (हि.स.)। केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव है। आध्यात्मिक व्यक्ति वही है, जिसका मन बड़ा होता है। अपने परिवार से अलग होकर लोकहित के लिए संन्यास धारण करने का कार्य कोई छोटे मन का व्यक्ति नहीं कर सकता। मन के विस्तार की सीमा वह होती है, जब व्यक्ति सीधे परमानन्द को अनुभूत कर लेता है। मन की परिधि परमानन्द के समानुपाती होती है। राष्ट्र के उत्थान में संन्यासियों का अभूतपूर्व योगदान है।

केन्द्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि के श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की आचार्यपीठ पर पदस्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर हरिहर आश्रम में वैदिक सनातन धर्म में समष्टि कल्याण के सूत्र विषय पर धर्मसभा में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। धर्म सभा में सन्तों के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी मौजूद रहे।

केन्द्रीय रक्षामंत्री सिंह ने कहा कि बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने अग्रेजों के विरुद्ध संन्यासियों के रण के विषय में लिखा है, इसलिए संन्यासियों का इस राष्ट्र की संस्कृति से बड़ा गहरा जुड़ाव है। जब भी आवश्यकता पड़ी संन्यासियों ने समाज के उत्थान का कार्य किया। जल, पर्यावरण और शिक्षा के लिए इस पीठ की ओर से उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रमणकारी ये जानते थे कि संन्यासियों और आध्यात्मिक परम्परा को नष्ट कर हम भारत की सांस्कृतिक चेतना को नष्ट कर देंगे। किन्तु यह संन्यासियों की जिजीविषा ही थी कि भारत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से स्वयं को समृद्ध रख पाया। जो अपनी जड़ों और संस्कृतियों से कटे हुए व्यक्ति की परिस्थिति अत्यन्त दयनीय होती है। पुराने समय में राजा के ऊपर केवल एक ही सत्ता रहती थी और वह है धर्म सत्ता। राजा अपना राजधर्म निभा रहा है कि नही इसका अधिकार पूज्य स्वामी जी जी जैसे मनीषियों का ही है।

उन्होंने कहा कि मन और विचार की उच्चता को दिव्यता और परमानन्द प्राप्ति का साधन बताया, और सन्तों की महिमा का बखान करते हुए कहा कि सन्त मोह माया से विरक्त होने के बाद भी समाज के कल्याण के लिए हमेशा समाज से जुड़े रहते हैं। उन्होंने संस्कृति के साथ जुड़ाव को महत्वपूर्ण और सर्वथा कल्याणकारी बताया।

धर्मसभा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानन्द भारती महराज, अटल पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वात्मानन्द महाराज, योगऋषि स्वामी रामदेव, स्वामी राजराजेश्वरानन्द महराज, हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महासचिव स्वामी परमात्मानन्द, श्री दत्तपद्मनाभ पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मेशानन्द, आचार्य बालकृष्ण, विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक दिनेश जी, विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, उत्तराखंड के वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल , पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा सहित देश-विदेश से बड़ी संख्या में पधारे साधकों की उपस्थिति रही।

हिन्दुस्थानसमाचार/रजनीकांत/रामानुज

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