यूनानी सहित चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों को एकीकृत कर बढ़ावा दिया जाएगा: राजेश कोटेचा
नई दिल्ली, 12 फरवरी (हि.स.)। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने में यूनानी चिकित्सा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सोमवार को यूनानी दिवस पर यूनानी चिकित्सा: एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य विषय को लेकर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कोटेचा ने कहा कि यूनानी सहित चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों को एकीकृत कर बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी समर्थन और निर्देश पर भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के अंतर्गत स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे, अनुसंधान सहयोग, निर्यात प्रोत्साहन तंत्र और वैश्विक विस्तार में अत्यधिक उन्नति हुई है। आज भारत पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व कर रहा है।
कार्यक्रम में वैद्य जयंत देवपुजारी, अध्यक्ष, राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग, नई दिल्ली, प्रो शकील अहमद रोमशू, कुलपति, इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, अवंतीपोरा, जम्मू-कश्मीर, प्रो. (डॉ.) नज़ीर अहमद गनी, कुलपति, एसकेयूएएसटी-कश्मीर, डॉ. सुंचू ग्लोरी स्वरूपा, महानिदेशक, राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान, हैदराबाद, डॉ. एम. ए. कासमी, सलाहकार (यूनानी), आयुष मंत्रालय और डॉ. एन. ज़हीर अहमद, महानिदेशक, सीसीआरयूएम और आयुष मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
इस अवसर पर सीसीआरयूएम द्वारा विकसित विभिन्न प्रकाशन और ई-पुस्तकें, यूनानी यौगिक औषधियों पर एक मोबाइल ऐप और एक डॉक्युमेंट्री जारी की गई। इसके अलावा चार सीसीआरयूएम संस्थानों को एनएबीएच और एनएबीएल प्रमाण पत्र प्रदान किया गया और सीसीआरयूएम तथा सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद के बीच एक समझौता ज्ञापन का आदान प्रदान हुआ।
जिन मुद्रित पुस्तकों का विमोचन किया गया, उन के शीर्षक इस प्रकार हैं - ‘जहान-ए-तिब (अलामी वबा नम्बर)’, ‘अद्विया कुलविय्या - ए कंपेंडियम ओफ क्लासिकल एंड एविडेंस-बेस्ड यूनानी ड्रग्स एक्टिंग ऑन दि किडनीज’, ‘अद्विया क़लबिय्या – क़दीम-व-जदीद तहक़ीक़ात की रौशनी में (ए कंपेंडियम ऑफ क्लासिकल एंड एविडेंस-बेस्ड यूनानी ड्रग्स एक्टिंग ओन दि हार्ट), ‘सेफटी एंड एफिकेसी ऑफ यूनिम-001 एंड यूनिम-003 इन बर्स (विटिलिगो) - ए टेक्निकल रिपोर्ट’ और ‘यूपीएलसी फिंगरप्रिंटिंग एंड फार्माकोपोइयल स्टडीज ऑफ यूनानी कोडेड कम्पाउंड फॉर्म्युलेशन यूनिम-040’ जबकि ई-पुस्तकों के शीर्षक इस प्रकार हैं – ‘मुहीत-ए-आज़म, खंड-1 (उर्दू)', 'किताबुल मिआ फित-तिब (अरबी)' और ‘स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स फॉर हिजामा (कपिंग)’। सर्वश्रेष्ठ शोध पत्रों के लिए सीसीआरयूएम वैज्ञानिकों को प्रशंसा प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।
हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/दधिबल
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