संयुक्त राष्ट्र अपनी प्रासंगिकता खो रहा है, इसमें तुरंत सुधार की आवश्यकता है: कैलाश सत्यार्थी

संयुक्त राष्ट्र अपनी प्रासंगिकता खो रहा है, इसमें तुरंत सुधार की आवश्यकता है: कैलाश सत्यार्थी
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संयुक्त राष्ट्र अपनी प्रासंगिकता खो रहा है, इसमें तुरंत सुधार की आवश्यकता है: कैलाश सत्यार्थी


-सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन का हुआ आगाज

नई दिल्ली, 11 मार्च (हि.स.)। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने सोमवार को कहा कि दुनिया को एकजुट रखने में संयुक्त राष्ट्र असफल हो रहा है। यह संस्था अपनी प्रासंगिकता खो रही है। इसमें सुधार की आवश्यकता है।

कैलाश सत्यार्थी नई दिल्ली में आयोजित लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन कॉन्क्लेव में एक नई वैश्विक पहल 'सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन' (एसएमजीसी) का आगाज करने के मौके पर मीडिया को संबोधित कर रहे थे। नोबेल पुरस्कार विजेताओं और नेताओं, व्यवसायों, शिक्षाविदों, युवाओं और नागरिक समाज को साथ लेकर शुरू किए करुणा के इस नए आंदोलन का उद्देश्य, टूटन और बिखराव जैसी चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया को एकजुट करके एक न्यायपूर्ण, समावेशी और पक्षपात रहित विश्व का निर्माण करना है।

इस अवसर पर एसएमजीसी के संस्थापक सत्यार्थी ने कहा, “पिछले कई दशकों से, मैं करुणा के वैश्वीकरण की जरूरत पर बात करता रहा हूं। आज एसएमजीसी के साथ हमने उस दिशा में आगे एक और कदम बढ़ा दिया है। मैं आप सभी से आह्वान करता हूं कि आप अपने भीतर छुपी करुणा की उस चिंगारी को पहचानें और इस आंदोलन में शामिल हों। टूटन और बिखराव से त्रस्त हमारी इस दुनिया को करुणा ही एकजुट कर सकती है।”

उन्होंने करुणा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया आज जितनी समृद्ध और एक दूसरे से जितनी जुड़ी हुई है, उतनी पहले कभी नहीं रही। लेकिन इसके साथ ही बिखराव, युद्ध, गैर-बराबरी, नफरत, जलवायु संकट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के संभावित खतरों जैसी चुनौतियां भी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इसके सबसे बड़े शिकार हमेशा बच्चे ही होते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पटरी से उतर गए हैं। अभूतपूर्व धन, संसाधन और ज्ञान के बावजूद, ये समस्याएं क्यों बनी हुई हैं? संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं, विश्व की सरकारें और दुनिया के सबसे अमीर लोग, इसे एकजुट रखने में बुरी तरह असफल रहे हैं।'

सत्यार्थी ने कहा, “एसएमजीसी, करुणामय संवाद और करुणापूर्ण कार्यों के माध्यम से वैश्विक शासन विधि में सुधार चाहता है। यह एक ऐसे लोकतांत्रिक, समावेशी और गतिशील संस्थानों के निर्माण में मदद करेगा, जिसके शीर्ष नेतृत्व का दृष्टिकोण करुणामय हो। हमने एशिया और अफ्रीका में जमीनी स्तर पर बाल-मित्र समुदायों का सफलतापूर्वक निर्माण किया है। उस अनुभव का लाभ उठाते हुए एसएमजीसी ऐसे समुदायों का निर्माण करेगी, जो समावेशिता, बराबरी और सामाजिक सुरक्षा हासिल करने में मददगार होंगे और इसमें युवाशक्ति केंद्रीय भूमिका में होगी।”

कैलाश सत्यार्थी ने एसएमजीसी का शुभारंभ लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन कॉन्क्लेव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं और दुनिया की अनेक जानी-मानी हस्तियों की उपस्थिति में किया। इनमें नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जोडी विलियम्स, मोनाको के पूर्व प्रधानमंत्री सर्ज टेल, पद्म विभूषण डॉ. आर ए मशेलकर, भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग, रॉबर्ट एफ कैनेडी ह्यूमन राइट्स की प्रेसिडेंट केरी कैनेडी, ब्राज़ील की सुपीरियर लेबर कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश लेलियो बेंटेस कोर्रा, और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी सहित कई क्षेत्रों के गण्यमान्य लोग शामिल थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/दधिबल

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