पानी की पाठशाला में उमाशंकर पाण्डेय का मंत्र, भविष्य के लिए जीवन बीमा से अधिक जल बीमा की जरूरत

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पानी की पाठशाला में उमाशंकर पाण्डेय का मंत्र, भविष्य के लिए जीवन बीमा से अधिक जल बीमा की जरूरत
 
पानी की पाठशाला में उमाशंकर पाण्डेय का मंत्र, भविष्य के लिए जीवन बीमा से अधिक जल बीमा की जरूरत 
 
 
 
नई दिल्ली, 19 जुलाई (हि.स.)। नीति आयोग के प्रथम जलयोद्धा से सम्मान से अलंकृत पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय के नेतृत्व में 1857 की क्रांति के नायक मंगल पांडे की जयंती पर आज पानी की पाठशाला का आयोजन उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के महोबा जिले के पनवाड़ी ब्लाक संसाधन केंद्र में किया गया। पाण्डेय ने बच्चों को पानी बचाने के पारंपरिक तौर-तरीकों से अवगत कराया। यह जानकारी जल शक्ति विद्यापीठ की विज्ञप्ति में दी गई।

विज्ञप्ति के अनुसार अटल भूजल योजना और राज्य भूगर्भ जल विभाग के सहयोग से आयोजित इस पाठशाला में पाण्डेय ने कहा कि आज जल क्रांति को जन क्रांति में बदलने की जरूरत है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रम में जल संरक्षण की पुरखों की विधि 'खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़' को समग्र रूप से शामिल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भविष्य की बचत के लिए जीवन बीमा से अधिक जल बीमा की जरूरत है। जल ही जगन्नाथ है।

जल शक्ति विद्यापीठ के सचिव अंकित पांडे के अनुसार उमाशंकर पाण्डेय इस समय जल कोष यात्रा पर हैं। इस यात्रा का मकसद उत्तर प्रदेश के जिन जिलों के कुछ ब्लाकों में भू-जलस्तर गिर रहा है, उसका अध्ययन कर उसे रोकने के उपायों से राज्य सरकार को अवगत कराना है।

उमाशंकर पाण्डेय ने कहा है कि दुर्भाग्य से हम महोबा में 1000 वर्ष पहले बुंदेलों और चंदेलों के सृजित किए गए विशालकाय जलस्रोतों को ही नहीं बचा पाए। अब तालाबों, कुओं, बावड़ी, बांध, नालों आदि को पुनर्जीवित करने का समय आ गया है। वर्षा जल के लिए पौधरोपण किया जाए। हरियाली आएगी तो पानी को बरसना ही पड़ेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकुंद/दधिबल यादव

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