चीन को जद में लेने वाली पनडुब्बी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल के हुए दो परीक्षण
- अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बियों से लैस करने के लिए विकसित की गई है मिसाइल
- परीक्षण पूरे होने के बाद अब परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन के लिए तैयार
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (हि.स.)। भारत ने चीन को अपनी जद में लेने वाली 4000 किमी रेंज की पनडुब्बी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल के-4 का गोपनीय तरीके से परीक्षण किया है। भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और नौसेना ने यह परीक्षण पिछले सप्ताह दो बार किये हैं। इसके साथ ही अब परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन के लिए तैयार है। इस मिसाइल को अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बियों से लैस करने के लिए विकसित किया गया है।
भारत ने शुक्रवार को छह दिनों में दूसरी बार अपनी परमाणु सक्षम के-4 पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) का परीक्षण किया, जिसे 4000 किमी. की दूरी तक मारक क्षमता के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिसाइल परीक्षण आंध्र प्रदेश तट से दूर पनडुब्बी आकार के एक पैंटून के जरिये समुद्र के नीचे से किये गए। इन दोनों परीक्षणों ने पानी के नीचे से सीधे बाहर निकलने और अपने परवलयिक प्रक्षेपवक्र को अपनाने की क्षमता का प्रदर्शन किया है। ठोस ईंधन वाली के-4 मिसाइल को देश की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बियों से लैस करने के लिए विकसित किया गया है।
अरिहंत श्रेणी की 06 पनडुब्बियां रूस की मदद से बनाई जा रही हैं। भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का जलावतरण तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर ने 26 जुलाई, 2009 को किया था। आईएनएस अरिहंत भारत के परमाणु परीक्षण को पूरा करने के लिए नवंबर, 2018 में पूरी तरह से चालू हो गई और वर्तमान में 750 किमी रेंज वाली बहुत छोटी के-15 मिसाइलों से लैस है। अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट में मिसाइलों की संख्या दोगुनी रखी गई है, जिससे भारत को 'पानी के युद्ध' में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल जाएगी। अरिहंत श्रेणी की तीसरी परमाणु पनडुब्बी एस-4 विशाखापत्तनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर से गोपनीय तरीके से लॉन्च की जा चुकी है।
पनडुब्बी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल के-4 के परीक्षण 2020 से किये जा रहे हैं, लेकिन अब के-4 का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने का रास्ता लगभग साफ़ है। भारत के मिसाइल क्लब में इसके शामिल हो जाने के बाद अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के साथ अंतर को कम करने में मदद मिलेगी, जिनके पास 5,000 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली एसएलबीएम हैं। के-4 मिसाइलों के बाद 5,000-6,000 किमी रेंज वर्ग में के-5 और के-6 मिसाइलें आती हैं। के-4 पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जो दो चरणों से बनी है। यह मिसाइल 12 मीटर (39 फीट) लंबी, 1.3 मीटर (4 फीट 3 इंच) व्यास वाली और लगभग 17 टन (19 टन) वजनी है। यह बैलिस्टिक मिसाइल तीन तरह के युद्धाभ्यास कर सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन
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