आज है जनजातीय गौरव दिवस: मप्र में भाजपा शासन में कितना सशक्त हुआ जनजाति समाज, ये रहे आंकड़े!

आज है जनजातीय गौरव दिवस: मप्र में भाजपा शासन में कितना सशक्त हुआ जनजाति समाज, ये रहे आंकड़े!
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आज है जनजातीय गौरव दिवस: मप्र में भाजपा शासन में कितना सशक्त हुआ जनजाति समाज, ये रहे आंकड़े!


आज है जनजातीय गौरव दिवस: मप्र में भाजपा शासन में कितना सशक्त हुआ जनजाति समाज, ये रहे आंकड़े!


भोपाल, 15 नवंबर (हि.स.)। देश आज जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू (झारखंड) उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे हैं। पिछले दिनों चुनावी प्रचार के दौरान वे मध्यप्रदेश में जनजाति बहुल क्षेत्रों में भी गए और उन्होंने बताया कि कैसे केंद्र और राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारें उनके कल्याण के लिए संकल्पित हो कार्य कर रही हैं। लेकिन क्या जमीनी सच्चाई भी कुछ इस प्रकार की है, जानते हैं यहां इससे जुड़े तथ्य।

दरअसल, स्वाधीनता के बाद देश-प्रदेश में लंबे समय तक कांग्रेस की सरकारें रहीं, लेकिन इन सरकारों ने जनजातीय समाज कल्याण के लिए उस तरह के प्रयास नहीं किए, जैसे भाजपा की सरकार करती हुई दिखाई दे रही है, इसका सुखद परिणाम यह सामने दिख रहा है कि मध्यप्रदेश में जनजाति वर्ग में एक बहुत बड़े समुदाय का सशक्त और आर्थिक रूप से समृद्ध दिखना आरंभ हो गया है। इस मामले में पुंजालाल निनामा ने हिस को बताया कि भाजपा की सरकार ने जनजाति बच्चों के विकास और उनकी शिक्षा पर बहुत काम किया है। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में 63 आवासीय विद्यालय खोले गए हैं, जबकि मध्यप्रदेश सरकार ने 95 सीएम राइज स्कूल खोले हैं। कांग्रेस के समय में सिर्फ तीन कन्या शिक्षा परिसर थे, जिन्हें भाजपा की सरकार ने 84 तक पहुंचा दिया गया ।

स्कूली शिक्षा में 24 लाख जनजातीय विद्यार्थी अध्ययन कर रहे

वे कहते हैं कि यह तुलना करने की बात नहीं, एक हकीकत है, जिसे हम सभी को मानना होगा। कांग्रेस के समय में 725 आश्रम थे, जिन्हें भाजपा की सरकार ने 1083 तक बढ़ा दिया है। कांग्रेस के समय में खेल परिसरों की संख्या महज 14 थी, जिन्हें भाजपा की सरकार ने 26 तक पहुंचा दिया गया । आज प्रदेश के आश्रमों, छात्रावासों, विद्यालयों, एकलव्य शालाओं, कन्या शिक्षा परिसर एवं क्रीड़ा परिसरों में लगभग 24 लाख जनजातीय विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। वास्तव में इतनी बड़ी संख्या में हमारे समाज के बच्चों का पढ़ना इसलिए संभव हो पाया क्योंकि भाजपा शासन की योजनाएं हमारे प्रति अनुकूल एवं पग-पग पर रवैया सहयोगात्मक रहा है।

हेमसिंह अलावा कहते हैं कि कांग्रेस की सरकारों ने दलितों, आदिवासियों के लिए केंद्र से मिलने वाले फंड का कभी भी पूरी तरह उपयोग नहीं किया। हर साल मार्च के बाद एक बड़ी योजनाओं की राशि जिसे हमारे वर्ग के कल्याण के लिए लगाया जाना था, वह राशि लेप्स हो जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। राशि का भरपूर उपयोग होता दिखता है और इससे समाज परिवर्तन भी सीधे तौर पर दिखाई देता है।

भाजपा शासन में जनजाति कार्य बजट में 1573 प्रतिशत की वृद्धि

जनजातीय समाज के उत्थान के लिए एनसीओ के माध्यम से सेवा कार्य कर रहे मधुभाई मकवाना का साफ कहना है कि जनजाति वर्ग के लिए कांग्रेस और भाजपा सरकारों द्वारा किए गए कामों को आंकड़ों के रूप में देखें, तो दोनों के बीच का फर्क सहज रूप से समझा जा सकता है कि कितने छलावा किया और किसने धरातल पर कार्य । मकवाना का कहना है कि मप्र की बात करें तो पिछली पांच साल वाली कांग्रेस की सरकार के समय दिग्विजय के शासन काल में जनजातीय कार्य विभाग का बजट 746.6 करोड़ रुपये था, जिसे 2022-23 तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के शासन में 11748.02 करोड़ रुपए कर दिया गया । इस हिसाब से बजट में 1573 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

केंद्र सरकार भी खुलकर कर रही जनजाति समाज के विकास पर खर्च

वे कहते हैं कि बात सिर्फ राज्य सरकार के द्वारा जनजातीय समाज के ऊपर बजट बढ़ाने एवं आवश्यक संसाधनों के जुटान के लिए पैसे देने की नहीं है, केंद्र में पिछले नौ वर्षों के दौरान मोदी सरकार ने जनजाति कल्याण पर 1 लाख 32 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जबकि इससे पहले 10 वर्ष तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार में आदिवासी कल्याण के लिए मात्र 29 हजार करोड़ रुपये दिए गए थे। आज यह आंकड़े खुद ही बता रहे हैं कि किसकी सरकार जनजाति समाज की हितैषी है।

जनजाति समाज के प्रतीक चिन्ह, कला-संस्कृति का संरक्षण

दीप्ती गौड़ ने कहा कि मप्र की भूमि वीर दुर्गावती से लेकर जनजातीय महापुरुष वीर शंकर शाह, रघुनाथ शाह , जननायक टंटया भील, बादल भोई, जनगणं श्याम, भीमा नायक और खज्या नायक जन्मस्थली व प्रेरणास्थली रही है। जनजातियों का प्रतिशत मध्यप्रदेश में 21.1% है। लगभग 24 जनजातियां यहां निवास करती हैं। इनकी उपजातियों को मिलाकर इनकी कुल संख्या 90 है। मध्यप्रदेश में लगभग 1.53 करोड़ जनसंख्या इन जनजातियों की है, जो अब भी भारत में यह सर्वाधिक है । लेकिन इतने बड़े समुदाय की सुध कांग्रेस के समय उतनी तीव्रता से कभी नहीं ली गई, जितनी कि आज दिखाई देती है।

जनजाति वर्ग की कला-संस्कृति उसके मानदंडों को लेकर भाजपा शासन में बड़ा काम हुआ है। छिंदवाड़ा में बादल भोई जनजातीय संग्रहालय परिसर का निर्माण, जबलपुर में करोड़ों की लागत से राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह स्मारक का निर्माण जैसे जनजातियों के हितों के संरक्षण के अनेक कार्य होते हुए आपको आज सर्वत्र मिल जाते हैं । छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय करने की घोषणा हो या जनजातीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए छिंदवाड़ा में भारिया जनजाति, डिंडोरी में बैगा एवं श्योपुर में सहरिया जनजातीय समुदाय के लिए सांस्कृतिक संग्रहालय की स्थापना के प्रयास में की गई तेजी रही हो। प्रदेश में आदिवासियों के लिए 50 सामुदायिक भवनों का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। ऐसे अनेक कार्य यहां गिनाए जा सकते हैं जोकि आज की सरकार कर रही है। इससे आप समझलीजिए कि किससे जनजाति वर्ग को अधिक लाभ मिल रहा है।

रोजगार के नए अवसर मिले, प्रतियोगी परीक्षाओं पर भी फोकस

गौंड़ ने कहा कि भाजपा सरकार बंधन योजना लेकर आई तो प्रदेश की हजारों जनजाति बहनों को इसका लाभ मिला और वे इससे जुड़कर अपनी आय बढ़ा रही हैं। सैकड़ों युवाओं को हर वर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। जनजाति परिवारों को अनेक प्रकार की विशेष सहायता आज उपलब्ध है। केंद्र की पीएम विश्वकर्मा योजना जैसी अनेक राज्य एवं केंद्र स्तर की योजनाओं का लाभ हमारे समाज को अब तत्काल मिल रहा है। ऐसे में भाजपा शासन की तारीफ तो करना बनता है।

सिकल सेल बीमारी पर पहले नहीं दिया किसी ने ध्यान

इसी तरह से मालवांचल के इंदौर से लगे क्षेत्र में निवास कर रहे सोमनाथ डाबर का कहना है कि मप्र के जनजाति बेल्ट में सबसे ज्यादा सिकल सेल बीमारी पाई जाती है, पिछली किसी भी सरकार ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन यह बीजेपी सरकार में पहली बार देखने में आया कि सिकल सेल बीमारी को दूर करने के लिए राष्ट्रीय अभियान शुरू किया गया है। स्वयं राज्यपाल महोदय, इसकी बात कई मंचों से कर चुके हैं, इसका लाभ भी आज प्रदेश भर में देखने को मिल रहा है। डाबर किसानी को लेकर कहते हैं कि मैं भी एक छोटा सा किसान हूं। कांग्रेस के शासन को भी नजदीक से देखता हुआ बड़ा हुआ, पहले सिर्फ आठ पर ही वनोपज का समर्थन मूल्य मिलता था, लेकिन आज भाजपा के शासन में 90 से अधिक वन उपज पर एमएसपी दी जा रही है।

योजनाओं से बदल रही है जनजाति समाज की प्रदेश में तस्वीर

लंबे समय तक वनवासी कल्याण परिषद के साथ काम कर चुके सुंदर दास कहते हैं कि आजादी के बाद लंबे समय तक कांग्रेस जनजातीय समाज को वोट बैंक समझकर छलती रही है। कांग्रेस की गतिविधियां कुछ परिवार या क्षेत्रों तक ही सीमित रही, उनका लाभ समग्र जनजातीय समाज को कभी नहीं मिला। मध्यप्रदेश में 41 साल तक कांग्रेस की सरकारें रहीं, लेकिन फिर भी विकास के लिए राज्य के आदिवासी बहुल 89 विकासखंडों के करीब 24 लाख परिवार तरस रहे थे, पर आज घर-घर सरकारी राशन पहुंचाने के लिए ‘राशन आपके द्वार’ योजना शुरू की गई है ।

उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय को रोजगार के अवसर प्रदान करने, पुलिस में दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने, आबकारी क़ानून में संशोधन करके उन्हें महुआ से शराब बनाने और संग्रह करने का अधिकार देने, आदिवासी कलाकारों के लिए पांच लाख रुपये का पुरस्कार घोषित करने जैसी अनेक छोटी-बड़ी योजनाएं और आयोजनों से मध्यप्रदेश में जनजातीय समुदाय के जीवन में उजाला हुआ है।

इसके साथ ही प्रदेश के झाबुआ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मण नायक यहां साफ कहते हैं कि भाजपा सरकार ने जनजातीय सामाज की जरूरतों , हितों को ध्यान में रखते हुए यहां पेसा क़ानून लागू किया। जनजातीय युवाओं को स्व-रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाने के लिये प्रदेश में बिरसा मुण्डा स्व-रोज़गार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना चल रही हैं। इसी तरह जनजातीय बहुल क्षेत्रों में औषधीय और सुंगधित पौधों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए देवारण्य योजना लागू की गईहै। कुल मिलाकर भाजपा की केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों ने आज जनजातीय समाज में आत्मविश्वास को जगा दिया है।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. मयंक चतुर्वेदी/संजीव

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