कंबोडिया के सिविल सेवा और सीनेट मंत्रालय के अधिकारियों का मसूरी में शुरू हुआ प्रशिक्षण
नई दिल्ली, 27 जून (हि.स.)। कंबोडिया के सिविल सेवा और सीनेट मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियाें के लिए दो सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम मसूरी में शुरू हो गया। इस कार्यक्रम का आयोजन 24 जून से 5 जुलाई, 2024 तक विदेश मंत्रालय (एमईए) के सहयोग से किया जा रहा है। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने आज गुरूवार 27 जून को यह जानकारी दी।
मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक इस कार्यक्रम में कंबोडिया के 40 सिविल सेवक भाग ले रहे हैं, जिसमें सिविल सेवा और सीनेट मंत्रालय के संयुक्त सचिव, निदेशक, उप-सचिव और अवर सचिव शामिल हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकारियों में सूचना का सटीक विश्लेषण करना, नए विचार उत्पन्न करना, स्पष्ट निर्णय लेना, कार्य को व्यवस्थित करना, प्रमुख प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना और समय पर परिणाम प्राप्त करने की क्षमता विकसित करना है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) के महानिदेशक और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी), भारत सरकार के सचिव वी. श्रीनिवास ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा भारत की नीति “न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन” का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करके नागरिकों और सरकार को करीब लाने के साथ डिजिटल रूप से सशक्त नागरिक और डिजिटल रूप से परिवर्तित संस्थान बनाना है।
कंबोडिया के सिविल सेवा मंत्रालय के उप-महानिदेशक और कंबोडिया से आए प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख माम फोउक ने इस अवसर के लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल क्षमता निर्माण को बढ़ाएगा बल्कि द्विपक्षीय संवाद को भी बढ़ावा देगा और भारत तथा कंबोडिया के बीच संबंधों को मजबूत करेगा।
राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र के एसोसिएट प्रोफेसर और कार्यक्रम के पाठ्यक्रम संयोजक डॉ. बीएस बिष्ट ने एनसीजीजी के उद्देश्यों, गतिविधियों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा की और बताया कि कैसे यह उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित हुआ है।
राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र ने17 देशों के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण दिया है। इसमें बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरेट्रिया और कंबोडिया शामिल हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/बिरंचि सिंह/रामानुज
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