बउआ देवी के भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के पेंटिंग एवं नाजदा खातून के सिकी से बना इंडिया गेट के मुरीद हुए लोग

बउआ देवी के भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के पेंटिंग एवं नाजदा खातून के सिकी से बना इंडिया गेट के मुरीद हुए लोग
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बउआ देवी के भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के पेंटिंग एवं नाजदा खातून के सिकी से बना इंडिया गेट के मुरीद हुए लोग


नई दिल्ली, 17 नवंबर (हि.स.)। भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला के पार्टनर स्टेट बिहार पवेलियन में बिहार के मधुबनी जितवारपुर की मिथिला पेंटिंग की विश्वप्रसिद्ध कलाकार 80 वर्षीय पद्मश्री बउआ देवी की मिथिला पेंटिंग का जीवंत प्रस्तुति (लाइव डेमो) एवं मधुबनी की प्रख्यात स्टेट अवॉर्डी सिकी कलाकार नाजदा खातून की सिकी कला का जीवंत प्रस्तुति ने लोगों का दिल जीत लिया। दोनों कलाकार का लाइव डेमो के अलावा बिहार पेवेलियन में इनके स्टॉल भी हैं। जीवंत प्रस्तुति से जहां आगंतुक मिथिला पेंटिंग एवं सिकी कला की बारीकी को सुप्रसिद्ध कलाकार से सीख रहे हैं, वहीं उनके स्टॉल से मिथिला पेंटिंग एवं सिकी कला की नायब उत्पाद की खरीदारी भी कर रहे हैं। बउआ देवी बिहार पवेलियन में अपनी जीवंत प्रस्तुति में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को कागज के कनवास पर बनाई। वहीं सिकी कलाकार नाजदा खातून द्वारा बनाए सिकी के इंडिया गेट ने लोगों को खूब आकर्षित किया। इसके अलावा सिकी की चूड़ियां, कंगन एवं झुमका भी लोगों को खूब लुभा रहा है। नाजदा खातून पिछले 20 साल से सिकी को नायब कला का रूप दे रहीं हैं।

मिथिला पेंटिंग कला को अपनी 'आराधना' मानने वाली बउआ देवी बताती हैं कि उन्होंने महज 13 साल के उम्र से ही खुद को इस कला के लिए समर्पित कर दिया था। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित बउआ देवी ने बताया कि मिथिला पेंटिंग बनाने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां चंद्रकला देवी से मिली। विवाह में कोहबर, जनेऊ संस्कार, मंडप और पूजा के मौके पर दीवारों पर की जाने वाली पेंटिंग को देखकर उनके मन में भी पेंटिंग करने की जिज्ञासा जगी। इसी दौरान जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ ही रही थीं, तो उनकी शादी हो गई। ससुराल आने के बाद से वह मिथिला पेंटिंग से निरंतर जुड़ी हुई हैं।

बउवा देवी कहती हैं कि अब इस कला का विस्तार गांव-घर से देश-दुनिया तक हो गई है। 11 बार जापान गई और वहां महीनों रहकर कई कार्यक्रमों में मिथिला पेंटिंग कर चुकी हैं। इसके अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, लंदन में भी मेरी पेंटिंग मौजूद हैं। देश के विभिन्न राज्यों से मेरी पेंटिंग की मांग की जाती है, जिससे मुझे खुशी होती है। आज के कलाकारों को संदेश देते हुए वह कहती हैं, कलाकारों को मेहनत के साथ अपना कार्य जारी रखना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि बउआ देवी मधुबनी पेंटिंग की उन कलाकारों में एक हैं, जिन्होंने मधुबनी पेंटिंग की परंपरागत शैली 'दीवार पर चित्रकारी' को कागज पर उतारकर दुनिया के सामने पेश किया है। उनकी 'नागकन्या श्रृंखला' की 11 पेंटिंग दुनियाभर में चर्चित हुई हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/प्रभात

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