श्रीरंगम रंगनाथ मंदिर में वैकुंठ एकादशी उत्सव का शुभारंभ, 21 दिनों तक चलेंगे भव्य आयोजन
श्रीरंगम, 20 दिसंबर (हि.स.)। तमिलनाडु के श्रीरंगम स्थित विश्वप्रसिद्ध रंगनाथ स्वामी मंदिर में मार्गशीर्ष माह के दौरान आयोजित होने वाला तिरुपावैयाध्यायन उत्सव, जिसे वैकुंठ एकादशी उत्सव भी कहा जाता है, पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ शनिवार को प्रारंभ हो गया। उत्सव के तहत सुबह से अय्यरगल मंडप के समीप विशेष पूजा, होम-हवन और भक्ति कार्यक्रम संपन्न किए गए।
वैकुंठ एकादशी के पावन अवसर पर तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम रंगनाथ मंदिर को दीपों से भव्य रूप से सजाया गया है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि श्रीरंगम मंदिर स्वयं वैकुंठ के समान है। यद्यपि यहां वर्षभर उत्सव आयोजित होते हैं, लेकिन वैकुंठ एकादशी का पर्व विशेष रूप से विश्वप्रसिद्ध है।
इस पावन अवसर पर नामपेरुमाल पांडियन कोन्डई, रट्टिन पाकासन, वायार अभय हस्तं, पावल माले, कसमलाई, मुथु चरं, अक्का पदक सहित अनेक पवित्र आभूषण धारण कर मुख्य मंदिर से भव्य उत्सव यात्रा पर निकले। यह यात्रा सुबह 8:30 बजे अर्जुन मंडप पहुंची, जहां भक्तों को दर्शन और सेवा प्रदान की गई। यहां अय्यर रामानुज के समक्ष चार हजार दिव्यप्रबंध गीतों का सस्वर गायन किया गया, जिसके बाद मंदिर सज्जा के लिए पर्दा दर्शन कराया गया।
भक्तों के सम्मान में विशेष कार्यक्रम शाम 4 बजे से 6 बजे तक आयोजित किया जाएगा। वहीं नामपेरुमाल शाम 7:30 बजे अर्जुन मंडप से प्रस्थान कर रात 9:45 बजे अपने मूल स्थान पर विराजमान होंगे।
पग पाट्टु उत्सव के पहले दिन मूलवर रंगनाथर मुथंगी सेवा में भक्तों को दर्शन देंगे। यह मुथंगी सेवा लगातार 20 दिनों तक चलेगी। मूलस्थान सेवा सुबह 7:45 बजे से शाम 5:30 बजे तक तथा शाम 6:45 बजे से रात 8:30 बजे तक होगी।
वैकुंठ एकादशी उत्सव के दौरान मंदिर परिसर में पेरीमेलम, नागासुरम, टक्कै, शंख, मृदंगम, वेल्लियतालम, सैम्पुयतालम, वीरवंडी सहित कुल 18 प्रकार के वाद्य यंत्रों की गूंज सुनाई देगी।
यह महोत्सव कुल 21 दिनों तक पगलपट्ट और रप्पपट्ट उत्सवों के रूप में मनाया जाएगा। उत्सव का प्रमुख आकर्षण सार्कवासल अर्थात परमपथवासल का उद्घाटन 30 दिसंबर की सुबह लगभग 4:30 बजे किया जाएगा, जिसे स्वर्ग द्वार खुलने के रूप में माना जाता है।
इसके बाद 5 जनवरी को कैताल सेवा, 6 जनवरी को तिरुमंगल मंजन वेदुपरी का भव्य आयोजन होगा, जिसमें नामपेरुमाल स्वर्ण झोड़े पर विराजमान होंगे। 8 जनवरी को तीर्थवाड़ी दर्शन तथा 9 जनवरी को नाम्मालवार मोक्ष के साथ वैकुंठ एकादशी उत्सव का समापन होगा।
वैकुंठ एकादशी उत्सव को लेकर मंदिर प्रशासन द्वारा व्यापक प्रबंध किए गए हैं। तमिलनाडु सहित देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हजारों पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। साथ ही श्रीरंगम के लिए अतिरिक्त बस सेवाएं भी चलाई जा रही हैं।
उत्सव के चलते श्रीरंगम में भक्तिमय वातावरण बना हुआ है। इस दौरान राजगोपुर सहित 21 गोपुरम और सात प्राकारों को रंग-बिरंगी विद्युत रोशनी से सजाया गया है। मंदिर परिसर में रंगनाथ, शंख, चक्र और नामदेवता की आकृतियों के रूप में सजी विद्युत सज्जा श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही है।------------
हिन्दुस्थान समाचार / Dr. Vara Prasada Rao PV

