दलाई लामा ने बिहार के बोधगया में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संघ फोरम का किया उद्घाटन

दलाई लामा ने बिहार के बोधगया में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संघ फोरम का किया उद्घाटन
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दलाई लामा ने बिहार के बोधगया में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संघ फोरम का किया उद्घाटन


-33 देशों के बौद्ध धर्म से जुड़े विद्वान हुए शामिल

बोधगया (बिहार), 20 दिसम्बर (हि.स.)। बौद्ध धर्म के विद्वानों की उपस्थिति में तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने बुधवार को परंपराओं को जोड़ने, आधुनिकता को अपनाने, आज की दुनिया में बुद्ध की शिक्षा पर एक संवाद विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संघ फोरम-2023 का उद्घाटन किया। बिहार के बोधगया में आयोजित फोरम में 33 देशों के बौद्ध धर्म गुरु जो विभिन्न वादों के विद्वान हैं शामिल हुए।

इस कार्यक्रम में भारत, थाईलैंड, म्यांमार, बांग्लादेश, कंबोडिया, लाओस, श्रीलंका, तिब्बत, भूटान, नेपाल, वियतनाम, ताइवान, रूस, मंगोलिया, जापान और कोरिया सहित 33 देशों के 2,500 से ज्यादा बौद्ध विद्वान शामिल हुए। मंच पर आमंत्रित लोगों में शामिल अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि उन्हें दुनिया भर के बौद्ध विद्वानों की ऐतिहासिक बैठक में भाग लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ मंच के आयोजकों द्वारा आमंत्रित किए जाने पर सौभाग्य महसूस हुआ है। मंच के लिए सैकड़ों बौद्ध नेता और भिक्षु बोधगया में जुटे हैं।

कार्यक्रम के पहले तीन दिनों में भिक्षुओं, ननों और भिक्खु विद्वानों के बीच चर्चा में बौद्ध धर्म की गहन शिक्षाओं पर चर्चा होगी। चर्चाओं के बाद मंच के समापन के अंतिम दिन बोधगया के प्रतिष्ठित महाबोधि मंदिर में प्रार्थना सभा होगी। इससे पहले दिसंबर में भारत सहित दुनिया भर से लगभग 5,000 भिक्षु और नन दो से 12 दिसंबर तक 18 वें अंतरराष्ट्रीय टिपिटका जप कार्यक्रम के लिए बोधगया में एकत्र हुए थे।

तीन दिवसीय इस फोरम में वक्ताओं में भिक्षु प्रो. गेशे नवांग सामतेन, भिक्षु यांगतेन रिनपोछे, प्रो. भिक्षु रालुवे पदमश्री थेरो, प्रो. भिक्षु चाव हवाई, प्रो. नाकाओ शिहोउ, कारलो लक्किस, बोधगया वटपा के महासचिव भिक्षु डॉ. रत्नेश्वर चकमा, भिक्षु वांगचुक दोरजे नेगी सहित कुल 46 वक्ताओं द्वारा तीन दिनों तक बौद्ध धर्म, पाली और संस्कृत भाषाओं की परंपराओं की आधुनिकता पर चर्चा करेंगे।

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य जटिल पहलुओं पर बातचीत को बढ़ावा देना और 21वीं सदी में बौद्ध धर्म की विकसित भूमिका का पता लगाना है। साथ ही बौद्ध धर्म की गहन शिक्षाओं पर चर्चा होगी। कार्यक्रम का समापन 23 दिसम्बर को महाबोधि मंदिर परिसर में विश्व शांति प्रार्थना के साथ होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ गोविन्द/चंद्र प्रकाश

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