समुद्र में मछली पकड़ने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की संभावना तलाशने की जरूरत : रूपाला
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। सीमित कर्मचारियों की संख्या के साथ राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड ( एनएफडीबी) ने मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसे में एनएफडीबी को हितधारकों के परामर्श से मछुआरों के लिए अलग से डीओएफ को सुझाव दिया जाना चाहिए और डीओएफ को इसके सुझावाें पर काम करना चाहिए।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा आयोजित 10वीं शासी निकाय बैठक की अध्यक्षता के दौरान ये बात कही। मंत्री ने झींगा पालन के समान मछली उत्पादन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि निर्यात बाजार में झींगा की उच्च मांग है। इसलिए गहरे समुद्र में मछली पकड़ने, नौकाओं, पारंपरिक प्रसंस्करण इकाइयों, बीज की आवश्यकता आदि के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की संभावना तलाशने के लिए नीति पर काम करने की जरूरत है।
बैठक में आंध्र प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री डॉ. सीदिरी अप्पालाराजू, कर्नाटक सरकार के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री मंकल एस वैद्य और त्रिपुरा, उत्तराखंड और पंजाब के मत्स्य अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में डीओएफ सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव डीओएफ नीतू कमरी प्रसाद, एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी डॉ. एल नरसिम्हा मूर्ति भी उपस्थित थे।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के केंद्रीय क्षेत्र के तहत स्वीकृत परियोजना पर पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों के साथ विशाखापत्तनम फिशिंग हार्बर की 151.81 करोड़ की परियोजना में लागत की प्रगति की समीक्षा की और निर्धारित तिथि अक्टूबर 2025 तक पूरा करने का निर्देश दिया।
इस मौके पर आंध्र प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री ने मछली पकड़ने वाले जहाज की इकाई लागत को 40 से 50 लाख तक करने का अनुरोध किया। बैठक के बाद मत्स्य पालन मंत्रालय के सचिव द्वारा आंध्र प्रदेश में कार्यान्वित सरकारी योजनाओं की विशेष समीक्षा की गई।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल
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