'अमृत काल' के युवा भारत@ 2047 के मैराथन धावक हैं: उप-राष्ट्रपति
नई दिल्ली, 15 फ़रवरी (हि.स.)। भ्रष्टाचार और संरक्षण युवा नवोन्वेषी दिमागों के सबसे बुरे हत्यारे हैं और ये योग्यता और स्थिरता के विपरीत हैं। युवा लोग भ्रष्टाचार से नफरत करते हैं, क्योंकि वे भाई-भतीजावाद और पक्षपात से अपने को ठगा हुआ महसूस करते हैं। उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के 125वें संस्थापक दिवस समारोह में संबोधन के दौरान यह बात कही। उप-राष्ट्रपति ने कहा 'अमृत काल' के युवा भारत@ 2047 के मैराथन धावक हैं। युवाओं के लिए आज अपार अवसर और संभावनाएं उपलब्ध हैं।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि सत्ता गलियारे अब भ्रष्ट तत्वों से पूरी तरह मुक्त कर दिए गए हैं और अब एक पारदर्शी, जवाबदेह प्रणाली स्थापित कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अब ऐसा समय है, जब योग्यता के आधार पर चीजों के मिलने का बोलबाला है और युवा अपने सपनों की आकांक्षा कर सकते हैं और उनको पूरा भी कर सकते हैं तथा अपनी क्षमताओं का पूरा दोहन कर सकते हैं। इस मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, कुलपति, हिंदू कॉलेज गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष टीसीए रंगाचारी, हिंदू कॉलेज प्रोफेसर अंजू श्रीवास्तव, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गण्यमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
उप-राष्ट्रपति ने युवाओं से आग्रह किया कि वे असफलता से कभी न डरें और अपने विचारों को साहसपूर्वक लागू करें। उन्होंने उनसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, 6जी और मशीन लर्निंग जैसी डिस्रप्टिव प्रौद्योगिकियों द्वारा प्रस्तुत अवसरों का उपयोग करने और उन्हें बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने आगे कहा कि हम डिस्रप्टिव प्रौद्योगिकियों के समय में रह रहे हैं... हम तकनीकी क्रांति के शिखर पर हैं।
उप-राष्ट्रपति ने आगे कहा कि कानून के सामने समानता लोकतांत्रिक शासन के लिए सबसे अपरिहार्य विशेषता है। हाल के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और कानून के लंबे हाथ हर किसी तक पहुंच रहे हैं, खासकर उन लोगों तक जिन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें कानून के प्रति जवाबदेह ठहराया जाएगा।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि कानून का सम्मान राष्ट्रवाद का सम्मान है, कानून का सम्मान लोकतंत्र का सम्मान है और कानून का सम्मान योग्यता के आधार पर चीजों के मिलने का सम्मान है तथा कानून का सम्मान भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। सत्ता और सत्ता के पदों पर बैठे लोगों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि विशेष रूप से सत्ता और सत्ता के पदों पर बैठे लोगों का यह प्रमुख दायित्व है कि वे कानून के प्रति सम्मान दिखाकर एक उदाहरण पेश करें।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि एक दशक पहले हमारे देश को पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं का हिस्सा माना जाता था, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बोझ थी लेकिन अब हम दुनिया की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं। भारत की आवाज वैश्विक स्तर पर सुनी जाती है और हमारे राष्ट्र की वैश्विक छवि बेहतर हुई है। भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर उभरा है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और संसद और राज्यों विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण को अनिवार्य करने वाले 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के पारित होने जैसी कई हालिया उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने बल देकर कहा कि लंबे समय के बाद हम आशा और संभावनाओं के युग में हैं... अब स्वतंत्रता के फूल खिलने का समय है।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल
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