अनुशासन व परिश्रम के प्रतिबिंब थे ठाकुर संकटा प्रसाद सिंहः दत्तात्रेय होसबाले

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अनुशासन व परिश्रम के प्रतिबिंब थे ठाकुर संकटा प्रसाद सिंहः दत्तात्रेय होसबाले


अनुशासन व परिश्रम के प्रतिबिंब थे ठाकुर संकटा प्रसाद सिंहः दत्तात्रेय होसबाले


लखनऊ, 28 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शनिवार को कहा कि भारतीय किसान संघ के तत्कालीन अध्यक्ष ठाकुर संकटा प्रसाद सिंह तपस्पी, आत्मविलोपी एवं कर्मयोगी थे। एक श्रेष्ठ विचार और राष्ट्रधर्म को निभाने के लिए अपने जीवन का हर क्षण लगाया। वह अनुशासन व परिश्रम के प्रतिबिम्ब थे। हासबाले ने कहा कि दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी जीवन भर अविचल चलता है, इस गीत की एक-एक पंक्ति उनके जीवन पर सटीक बैठती है।

सरकार्यवाह होसबाले शनिवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया परिकल्प भवन तेलीबाग में आयोजित ठाकुर संकटा प्रसाद सिंह के जन्म शताब्दी समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सरकार्यवाह ने ठाकुर साहब के जीवन पर आधारित एक कर्मयोगी पुस्तक का लोकार्पण किया। इस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन और भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र मंचासीन रहे।

होसबाले ने कहा कि ठाकुर संकटा प्रसाद सिंह संगठन के निर्णय को शिरोधार्य करते थे। प्रचारक के नाते जहां भेजा गया वहां गए, जो काम दिया गया उस काम को किया। पहले किसान संघ में प्रतिवर्ष सदस्यता होती थी। विचार हुआ कि प्रतिवर्ष सदस्यता करने के स्थान पर त्रैवार्षिक सदस्यता कराई जाय। संकटा प्रसाद सिंह ने कहा कि नहीं प्रतिवर्ष सदस्यता होनी चाहिए। इससे प्रतिवर्ष किसानों के पास जाने व संपर्क का अवसर मिलेगा। बाद में संगठन ने तय किया कि नहीं त्रैमासिक ही सदस्यता होगी। ठाकुर साहब ने संगठन के निर्णय का विरोध नहीं किया और वह तुरंत मान गए।

सरकार्यवाह ने कहा कि वह संघ के प्रचारक के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। किसान संघ में जाने के बाद एक-एक कार्यकर्ता को गढ़ने और संगठन से जोड़ने का काम उन्होंने किया। वह अनुशासन व परिश्रम के प्रतिबिम्ब थे। वह बाहर से कटहल की भांति कठोर तथा अंदर से नरम थे। उन्होंने एक लक्ष्य के लिए अपना जीवन लगाया। कुछ लोग होते हैं छोटी-मोटी सफलता व असफलता से हताश व निराश हो जाते हैं, लेकिन ठाकुर साहब में सबको साथ लेकर चलने व सामूहिकता का स्वभाव था।

होसबाले ने कहा कि संघ में प्रचारक व्यवस्था अद्भुत परम्परा है। जैसे जल को जिस पात्र में डाल दिया जाता है वह उसका आकार ले लेता है ठीक उसी तरह की अपेक्षा प्रचारक से संगठन की रहती है। उन्होंने कहा कि प्रचारक के नाते हमारी गिनती है। प्रचारक जीवन के आदर्श कैसे हों ऐसे लोगों में ठाकुर साहब की गिनती होती है।

कार्यक्रम में किसान संघ के प्रदेश संगठन मंत्री शिवकांत दीक्षित, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक कौशल, क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख मिथिलेश नारायण, सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकांत, ग्राम विकास विभाग के संयुक्त क्षेत्र प्रमुख वीरेन्द्र सिंह, कुटुम्ब प्रबोधन गतिविधि के क्षेत्र संयोजक अशोक उपाध्याय, सीमा जागरण मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अशोक केडिया, वरिष्ठ प्रचारक रामजी भाई, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अशोक दुबे, किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री रामचेला व प्रांत धर्मजागरण प्रमुख सुरेन्द्र प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/पवन

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