काशी तमिल संगमम: हनुमान घाट पर तमिल के पेशेवरों और कारीगरों के समूह ने किया गंगा स्नान

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काशी तमिल संगमम: हनुमान घाट पर तमिल के पेशेवरों और कारीगरों के समूह ने किया गंगा स्नान


काशी तमिल संगमम: हनुमान घाट पर तमिल के पेशेवरों और कारीगरों के समूह ने किया गंगा स्नान


—तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती के घर पहुंचे, परिजनों से की मुलाकात

वाराणसी, 11 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में भाग लेेने आए तमिलनाडु के पेशेवरों और कारीगरों ने गुरूवार को हनुमानघाट पर गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाई। स्नान ध्यान के बाद सभी ने मां गंगा का पूजन भी पूरे श्रद्धाभाव से किया। गंगा स्नान के बाद तमिल समूह ने घाट पर स्थित प्राचीन मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। इस दौरान सभी लोगों को मंदिरों के इतिहास के बारे में जानकारी दी गई। इसके उपरांत तमिल डेलीगेट हनुमान घाट स्थित महाकवि सुब्रमण्यम भारती के घर पहुंचा। आवास पर महाकवि के तीसरे पीढ़ी के सदस्यों से उन्होंने मुलाकात की। समूह के लोगों में महाकवि के बारे में काफी कुछ जानने की जिज्ञासा दिखी। उन्होंने सुब्रमण्यम भारती के घर के समीप पुस्तकालय का भी भ्रमण किया। महाकवि के घर पर भ्रमण करने के उपरांत यह समूह कांची मठ पहुंचा और वहां के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त की। काशी के हनुमानघाट में दक्षिण भारतीय मंदिर को देखकर पेशेवरों और कारीगरों का दल उत्साहित दिखा।

तमिल समूह को काशी का इतिहास समझाने वाले वाले वी. चंद्रशेखर द्रविड़ घनपाठी बताते हैं कि केदार घाट और हनुमान घाट ऐसे मोहल्ले हैं, जहां दक्षिण भारत के लोग कई पीढ़ियों से रहते हैं। अब वह सभी काशीवासी हो चुके हैं। कोई यहां 5 पीढ़ियों से रहता है, तो कोई 10 पीढ़ियों से यहां रह रहा है। यह सभी यहां की परंपरा को आत्मसात कर रहे हैं और अपनी परंपराओं के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक तरीके से कहें तो महादेव की काशी में उत्तर भारत और दक्षिण भारत की साझा संस्कृति यहां विकसित हो चुकी है। पेशेवरों और कारीगरों का यह समूह काशी में कई अन्य कार्यक्रमों में शामिल होते हुए शाम को नमो घाट पहुंचेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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