डॉ. सुकांत मजूमदार ने उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषा में पाठ्यपुस्तक लेखन पर कार्यशाला का उद्घाटन किया
नई
दिल्ली, 16 जुलाई (हि.स.)। शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने मंगलवार को
नई दिल्ली में उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषा में पाठ्यपुस्तकों के लेखन पर
कुलपतियों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय
अनुदान आयोग (यूजीसी) और भारतीय भाषा समिति (बीबीएस) ने संयुक्त रूप से किया था।
इस
अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के. संजय मूर्ति, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष प्रो.
चामू कृष्ण शास्त्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार, 150 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रख्यात शिक्षाविद् और अन्य गणमान्य
व्यक्ति भी उपस्थित थे।
कार्यशाला
के उद्घाटन सत्र में डॉ. सुकांत मजूमदार ने विभिन्न उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के
लिए भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री तैयार करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली को देश की विशाल भाषाई विविधता को प्रतिबिंबित
करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों को उनकी मातृभाषा में ज्ञान
प्राप्त हो। उन्होंने ‘विकसित भारत’ के उद्देश्य को पूरा करने में अपने दूरदर्शी नेतृत्व प्रदान करने के
लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। डॉ. मजूमदार ने यह भी
कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश के युवाओं को राष्ट्र निर्माण में भाग लेने
के लिए प्रेरित करने का आधार तैयार करती है। उन्होंने एनईपी 2020 के कार्यान्वयन
का नेतृत्व करने के लिए धर्मेंद्र प्रधान के प्रति आभार व्यक्त किया।
डॉ.
मजूमदार ने यह भी कहा कि भारतीय भाषाएं राष्ट्र के प्राचीन इतिहास और पीढ़ियों से
चली आ रही बुद्धिमत्ता का प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को पोषित किया
जाना चाहिए और समृद्ध सांस्कृतिक और भाषाई विरासत में उनके विश्वास को मजबूत किया
जाना चाहिए।
सत्र
के दौरान, प्रो.
चामू कृष्ण शास्त्री ने भारतीय भाषा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता
पर बल दिया और एम. जगदीश कुमार ने कुछ मूल्यवान अंतर्दृष्टि साझा की।
के.
संजय मूर्ति ने समापन सत्र के दौरान तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
ये परियोजनाएं अस्मिता (अनुवाद और अकादमिक लेखन के माध्यम से भारतीय भाषाओं में
अध्ययन सामग्री का संवर्धन); बहुभाषा शब्दकोष; और वास्तविक समय अनुवाद वास्तुकला थीं। श्रोताओं को संबोधित करते हुए, मूर्ति ने कहा कि इन सभी परियोजनाओं को
आकार देने में प्रमुख भूमिका प्रौद्योगिकी की होगी, और एनईटीएफ और बीबीएस की इसमें बहुत
बड़ी भूमिका होगी।
यूजीसी
के नेतृत्व में भारतीय भाषा समिति के सहयोग से अस्मिता का लक्ष्य अगले पांच वर्षों
में 22 अनुसूचित भाषाओं में 22000 पुस्तकें प्रकाशित करना है। भारतीय भाषा समिति
के सहयोग से केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल) के नेतृत्व में बहुभाषा
शब्दकोष बहुभाषी शब्दकोशों का एक विशाल भंडार बनाने की एक व्यापक पहल है। भारतीय
भाषा समिति के सहयोग से राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच (एनईएफटी) के नेतृत्व
में वास्तविक समय अनुवाद वास्तुकला भारतीय भाषा में वास्तविक समय अनुवाद क्षमताओं
को बढ़ाने के लिए एक तकनीकी ढांचे के निर्माण की सुविधा प्रदान करेगी।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार / प्रभात मिश्रा
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