मप्र में स्मॉल इंडस्ट्रीज की मेहनत लाई रंग, उपलब्ध होने लगा घर-घर रोजगार
- बड़े राज्यों में मध्य प्रदेश दिखा रहा दम
भोपाल, 1 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिन छोटी व्यापारिक लघु इकाइयों को भारत में आर्थिक प्रवाह की ताकत करार दिया है, उन छोटे उद्योगों को लेकर मध्य प्रदेश में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी जा रही है। केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सरकार ने मिलकर व्यापार, उद्योग के नियमों का जो सरलीकरण किया है, उसका परिणाम बड़े पैमाने पर अधिकांश रोजगार के रूप में सामने आ रहा है। सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि मप्र से रोजगार के लिए पलायन का प्रतिशत प्रतिदिन घट रहा है, वहीं दूसरे राज्यों से रोजगार की तलाश में मध्य प्रदेश आकर बस जाने वालों का प्रतिशत बढ़ रहा है।
दरअसल, मप्र को लेकर अब तक आई क्रिसिल, मूडीज, फिच, स्टैण्डर्ड एंड पूअर, इक्रा, केअर, ओनिक्रा जैसे सभी रेटिंग एजेंसियों ने माना है कि यह राज्य भारत के कई बड़े राज्यों में पिछले दिनों तेजी से पीछे छोड़ आगे बढ़ गया है। इस बारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहना है, 'मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आकार 45 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाए जाने को लेकर सतत कार्य किया जा रहा है, वर्ष 2030 तक ऐसा होता दिखाई देगा, यह मेरा विश्वास है। प्रदेश में भाजपा सरकार का प्रयास यही है कि एक करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी की रेखा से ऊपर लाया जाए और प्रति व्यक्ति आय को दोगुना किया जाए।'
उनका कहना है कि राज्य का जो बजट कभी कांग्रेस की सरकार में 23 हजार 161 करोड़ तक सीमित हुआ करता था, वह आज कई गुना बढ़कर तीन लाख 14 हजार 25 करोड़ पर जा पहुंचा है। राज्य की आर्थिक वृद्धि दर देखने लायक है। यह 4.43 से बढ़कर 16.43 प्रतिशत पर आ गई है। राज्य की सफल नीतियों से ऋण-जीएसडीपी का अनुपात घटा है। यह 31.6 से 27.8 प्रतिशत पर आ गया है और सकल घरेलू उत्पाद कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट में लगभग 17 प्रतिशत यानी पहले की तुलना में 86, 800 करोड़ से बढ़ कर 13 लाख 22 हजार, 821 करोड़ के पार जा चुकी है। इसी तरह से मध्य प्रदेश में प्रतिव्यक्ति आय भी कई गुना बढ़ गई है, यह 11 हजार 718 से आगे आकर एक लाख 40 हजार 583 रुपए प्रतिव्यक्ति पर आ पहुंची है।
राज्य की छोटे व्यापारियों के हित में आर्थिक नीतियों को लेकर लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष महेश गुप्ता का मानना है कि भाजपा सरकार रहते मप्र में छोटे व्यापारियों और उद्योगपतियों के हित में कई अच्छे निर्णय हुए हैं, जिसमें बंद हो चुके लघु उद्योग संवर्धन बोर्ड का गठन भी है। पिछले 25 से 30 वर्षों से लंबित प्रदेश के दाल मिलों को ऑरेंज श्रेणी से ग्रीन श्रेणी में रखने का प्रस्ताव शासन ने स्वीकृत किया। इसी तरह से प्रदेश में स्थित टेक्सटाइल्स उद्यमियों की मांग पर यार्न (रेशा) एवं टेक्सटाइल्स यूनिटों को ऑरेंज से ग्रीन श्रेणी में रखा जा सका, प्रदेश के बाहर से आ रहे दलहनों पर मंडी टैक्स की छूट दी गई। प्रदेश में प्रदूषण विभाग के साथ छोटे उद्योगों को लेकर खड़े होनेवाले विवादों के निपटान एवं संवाद के लिए विश्वास स्कीम प्रारंभ हुई।
गुप्ता कहते हैं, 1973 में बने मंडी एक्ट में संशोधन कर ऑनलाइन ई-अनुज्ञा सत्यापन प्रक्रिया शुरू कराई गई है। अब प्रदेश के हजारों दाल दलहन उद्यमियों को कृषि उपज मंडी समिति कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ते । एचडीईपी पाइप की निवेश में 25 करोड़ टर्नओवर तीन वर्ष अनुभव की बाध्यता समाप्त करने की मांग शिवराज सरकार द्वारा मान ली गई। फैक्ट्री एक्ट लाइसेंस प्रक्रिया में सुधार एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखी जा सकती है। श्रम विभाग द्वारा फैक्ट्री एक्ट लाइसेंस जारी दिनांक से एक वर्ष के लिए कर दिया गया है।
उद्योगपति महेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश की छोटे उद्योगों को ताकत देने के लिए ही राज्य शासन द्वारा स्टांप शुल्क घटाने का प्रावधान हुआ। प्रदूषण विभाग द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट के लिए घटा दी गई। राज्य सरकार द्वारा टेंडर प्रक्रिया में 50 परसेंट खरीदी लघु उद्योग निगम द्वारा प्रदेश के उद्यमियों से खरीदना अनिवार्य कर दिया है, इसका परिणाम यह है कि राज्य में छोटे-मझोले उद्योगों को विस्तार देने की संभावना और अधिक बढ़ गई, जिसका जमीन पर प्रभाव भी दिखाई दे रहा है।
वे कहते हैं कि इसी तरह से राज्य शासन द्वारा निविदा उपार्जन में दी जाने वाले प्रतिभूति केंद्र सरकार की तरह एमएसएमई के लिए शून्य कर दी गई है एवं निष्पादन प्रतिभूति अधिकतम तीन प्रतिशत कर दी गई है। शिवराज सरकार ने संशोधित भंडार क्रय नियम में प्रदेश के एमएसएमई के लिए 25 परसेंट से 50 परसेंट तक आरक्षण एवं उन्हें एल वन 15 प्रतिशत की सीमा में दरें प्रस्तुत करने की सुविधा प्रदान की है। सरकार द्वारा सोलर प्लांट उपयोग पर पूर्व में 30 प्रतिशत क्षमता से बढ़कर 70 प्रतिशत का नोटिफिकेशन जारी किया है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे जितेंद्र गुप्ता आज मप्र की भाजपा सरकार के जिला स्तर पर किए जा रहे नए प्रयोगों को लेकर अपनी प्रसन्नता जाहिर करते हैं। इनका मानना है कि छोटे उद्यमियों को रोजगार प्रारंभ करने के लिए बुरहानपुर, उज्जैन, देवास जैसे कई जिलों में नए क्लस्टर स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें अब उद्योग स्थापना संबंधी प्रक्रिया तेजी से की जा रही है। साथ ही मप्र की शिवराज सरकार ने प्रदेश की अब तक सेंकड़ों की संख्या में छोटे व्यापारियों को करोड़ों रुपए का अनुदान एक वर्ष में सिंगल क्लिक के माध्यम से दिया है, यह प्रदेश भर के उद्यमियों के लिए बड़ी राहत का विषय है।
गुप्ता ने बताया कि खदान चलाने के लिए माइनिंग प्लान की स्वीकृति आवश्यक है किंतु पिछले काफी वक्त से प्रदेश के माइनिंग विभाग में टेक्निकल डायरेक्टर ही नियुक्ति नहीं था, इस दिशा में प्रयास हुए तो सरकार ने नए टेक्निकल डायरेक्टर की नियुक्ति कर दी, जिसके कारण से आज खनिज उद्यमियों द्वारा अपने माइनिंग प्लान को स्वीकृत कराना नियमित हो गया।
जितेंद्र गुप्ता का कहना है कि प्रदेश के छोटे उद्योगपतियों द्वारा लगातार क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएस) के अंदर लगने वाले बैंक चार्ज को कम करने की मांग की जाती रही थी जो अब पूरी हो चुकी है। सरकार द्वारा वार्षिक गारंटी शुल्क अधिकतम 2 प्रतिशत से घटकर 0.37 प्रतिशत कर दिया गया एवं नई योजना में गारंटी की अधिकतम सीमा दो करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ कर दी गई, जिसका प्रत्यक्ष लाभ छोटे-छोटे उद्यमियों को हो रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक/संजीव
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