कृषि समुदायों के लिए आशा की किरण है श्री अन्न : मुंडा
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि कृषि समुदाय के लिए श्री अन्न आशा की किरण है। इसकी खेती विविध जलवायु में की जा सकती है। अपनी न्यूनतम जल आवश्यकताओं, कम कार्बन फुटप्रिंट और सूखे की स्थिति में पनपने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध श्री अन्न सही मायने में जलवायु हितैषी फसलों की कसौटी पर खरे उतरते हैं।
मुंडा ने गुरुवार को नई दिल्ली में आसियान-भारत श्री अन्न महोत्सव का शुभारंभ करते हुए कहा कि शाकाहारी, ग्लूटन फ्री भोजन की बढ़ती मांग के मद्देनजर श्री अन्न वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है। श्री अन्न मानवता के लिए प्रकृति के उपहार के रूप में है, साथ ही सतत भविष्य के भोजन का एक आशाजनक स्रोत भी है।
मुंडा ने कहा कि खाद्य एवं कृषि संगठन में मिलेट्स को एक देश-एक प्राथमिकता उत्पाद के रूप में नामांकित करके और इसे 21 जिलों में एक जिला-एक उत्पाद तक विस्तारित करके, हमने श्री अन्न की क्षमता का दोहन किया है, उनके पोषण मूल्य और आर्थिक व्यवहार्यता का दोहन किया है। उन्होंने बताया कि भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान को श्री अन्न के लिए वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र में बदलने संबंधी, मार्च-2023 में वैश्विक मिलेट्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई उद्घोषणा, श्री अन्न की खेती व वैश्विक अनुसंधान सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हमारे समर्पण का प्रतीक है। आईआईएमआर ने विभिन्न संस्थानों में 25 बीज हब, 18 केंद्र स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है व अन्य कृषि संस्थानों के सहयोग से श्री अन्न की 200 से अधिक उन्नत किस्में विकसित की हैं। इससे उच्च गुणवत्ता वाले श्री अन्न बीजों की अधिशेष उपलब्धता सुनिश्चित हुई है, जिसका उद्देश्य वार्षिक बीज प्रतिस्थापन अनुपात 10 फीसदी तक बढ़ाना है।
हिन्दुस्थान समाचार/आशुतोष/दधिबल
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