राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक बालकृष्ण पंचतत्व में विलीन
— तहसील प्रचारक से लेकर अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख की रही जिम्मेदारी
— स्व0 अशोक सिंघल की प्रेरणा से नौकरी छोड़ बने थे प्रचारक
कानपुर, 20 अगस्त (हि.स.)। कानपुर के छोटे से गांव में जन्मे बालकृष्ण मंगलवार को 89 साल की उम्र में गोलोकवासी हो गये। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में तहसील प्रचारक से लेकर अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख की जिम्मेदारियों का निर्वहन किया और लखनऊ के राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में अंतिम सांस ली। उनके पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए भारती भवन राजेंद्र नगर लखनऊ में रखा गया फिर कानपुर के भैरव घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। छोटे भाई रामकिशन ने मुखाग्नि दी और पंचतत्व में विलीन हो गये। इस दौरान समाज के विविध क्षेत्रों की विभूतियों ने उनके अंतिम दर्शन कर श्रद्धासुमन अर्पित किये।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख एवं अवध प्रांत के पूर्व प्रांत प्रचारक बालकृष्ण के गोलोकवासी होने की खबर से स्वयंसेवकों में शोक की लहर व्याप्त हो गई। उनके निधन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत एवं सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने गहन शोक प्रकट किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने भारती भवन में बालकृष्ण के पार्थिव देह पर पुष्पांजलि अर्पित की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने भी गहरा दु:ख व्यक्त किया है। वहीं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने भारती भवन में पार्थिव देह पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही स्वयंसेवकों के अलावा समाज के विविधि क्षेत्रों की विभूतियों ने उन्हे यादकर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को कानपुर लाया गया और गंगा किनारे भैरव घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, पूर्वी उ.प्र. के क्षेत्र प्रचारक अनिल कुमार, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेन्द्र सिंह, कानपुर प्रांत के प्रांत प्रचारक श्रीराम सिंह, प्रांत संघचालक भवानी भीख, वरिष्ठ भाजपा नेता विनय कटियार, राम जन्मभूमि न्यास के अनिल मिश्रा, अजय अग्निहोत्री, राजेन्द्र सक्सेना, पूर्व विधायक नीरज चतुर्वेदी, अवध बिहारी आदि मौजूद रहे।
तहसील प्रचारक से लेकर बने अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के बीच बालजी के नाम से पहचाने जाने वाले स्व. बालकृष्ण त्रिपाठी का जन्म 05 मार्च 1937 में कानपुर जनपद के ग्राम कंठीपुर, ब्लॉक शिवराजपुर, तहसील बिल्हौर में हुआ था। उनके पिता का नाम स्व0 मन्नू लाल त्रिपाठी और माता का नाम स्वर्गीय शांति देवी था। पांच भाईयों में वह दूसरे नंबर के थे और उन्होंने डीएवी कालेज कानपुर से एम. काम. किया। बालकृष्ण 1962 में बिल्हौर तहसील के प्रचारक बने। इसके बाद कानपुर के नगर प्रचारक, जिला प्रचारक एवं विभाग प्रचारक, कानपुर प्रांत के प्रांत शारीरिक प्रमुख एवं सह प्रांत प्रचारक रहे। आगे चलकर अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक बने और संयुक्त क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड का दायित्व भी संभाला। अंत में अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख जैसा दायित्व का भी निर्वहन किया। इस दौरान उनका केन्द्र नागपुर हो गया और लम्बे समय तक नागपुर में ही रहे। हाल ही में उनका केंद्र भारती भवन लखनऊ हुआ था।
अशोक सिंघल की प्रेरणा से नौकरी छोड़ बने थे प्रचारक
डीएवी कालेज से एम. काम. की शिक्षा पूरी होने के बाद बालकृष्ण कानपुर की एल्गिन मिल में नौकरी करने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात कानपुर के तत्कालीन विभाग प्रचारक स्व0 अशोक सिंघल से हुई और उनकी प्रेरणा से उन्होंने नौकरी छोड़ कर स्वयंसेवक बन गये। शुरुआत में उन्होंने अपने ही तहसील बिल्हौर से प्रचारक की जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया। इसके बाद तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख के दायित्व का निर्वहन किया। यही नहीं जिस समय देश में आपातकाल लागू हुआ था उस दौरान उन्होंने कानपुर में ही भूमिगत होकर सक्रिय रुप से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया।
हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह / पवन कुमार / विद्याकांत मिश्र
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