एससीओ की बैठक में विदेश मंत्री ने 'अव्यवहार्य ऋण' और संप्रभुता का मुद्दा उठाते हुए चीन को चेताया

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एससीओ की बैठक में विदेश मंत्री ने 'अव्यवहार्य ऋण' और संप्रभुता का मुद्दा उठाते हुए चीन को चेताया


नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने गुरुवार को बिश्केक में एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद के 22वें सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधा और कहा कि ग्लोबल साउथ को अपारदर्शी पहलों से उत्पन्न होने वाले अव्यवहार्य ऋण के बोझ से नहीं दबाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के नाम पर संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर भी चेताया।

विदेश मंत्री ने कहा कि एससीओ को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करना चाहिए और एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए मिलकर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मध्य एशियाई देशों के हितों की केंद्रीयता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत स्थायी, पारस्परिक रूप से लाभप्रद और वित्तीय रूप से व्यवहार्य समाधानों के लिए सदस्य देशों के साथ साझेदारी करने का इच्छुक है।

उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ को अपारदर्शी पहलों से उत्पन्न होने वाले अव्यवहार्य ऋण के बोझ से नहीं दबाना चाहिए। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) समृद्धि प्रवर्तक बन सकते हैं। क्षेत्र के भीतर व्यापार में सुधार के लिए हमें मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। ऐसी पहलों में सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए।

विदेश मंत्री ने कहा कि मूल्य के हिसाब से भारत दुनिया के शीर्ष 10 निर्यातकों में से एक है। एससीओ सदस्यों के साथ हमारे कुल व्यापार में विशेषकर रूस के साथ मजबूत वृद्धि देखी गई है। पिछले वर्ष इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 140 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर लगभग 170 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। इसमें कई गुना बढ़ोतरी की संभावना है। जैसे-जैसे सीमा पार ई-कॉमर्स बढ़ रहा है, हमें सामूहिक रूप से बड़े और छोटे विक्रेताओं के बीच समान प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और विश्वसनीय उपभोक्ता संरक्षण तंत्र विकसित करने की भी आवश्यकता है।

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आज शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की 22वीं बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। वे एससीओ शासनाध्यक्षों की बैठक में प्रधानमंत्री का प्रतिनिधित्व करने बिश्केक पहुंचे हैं। विदेश मंत्री बिश्केक में अपने प्रवास के दौरान एससीओ सदस्य देशों के अपने समकक्षों से मिलेंगे और देश के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) यूरेशिया में एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है। यह राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा मुद्दों पर सहयोग पर केंद्रित है। इसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/अनूप/दधिबल

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