(अपडेट) सरना धर्म कोड लागू करने के साथ हो, मुंडारी एवं कुड़ुख भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की हो पहल : हेमंत सोरेन

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(अपडेट) सरना धर्म कोड लागू करने के साथ हो, मुंडारी एवं कुड़ुख भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की हो पहल : हेमंत सोरेन


(अपडेट) सरना धर्म कोड लागू करने के साथ हो, मुंडारी एवं कुड़ुख भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की हो पहल : हेमंत सोरेन


रांची, 25 मई (हि.स.)। खूंटी जिले के बिरसा मुंडा स्टेडियम में आयोजित महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड लागू करने के साथ हो, मुंडारी और कुड़ुख भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की दिशा में पहल करने की मांग की। साथ ही कहा कि आदिवासी समाज की अस्मिता और पहचान को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। क्योंकि, यह उनके मान -सम्मान के साथ जुड़ा हुआ है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में सोरेन ने कहा कि आदिवासियों के लिए बनने वाली सभी योजनाएं सिर्फ कागजों पर चल रही हैं। हालांकि, उन्होंने जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के काम की तारीफ की और कहा कि जबसे अर्जुन मुंडा मंत्री बने हैं तबसे वे आदिवासियों के हित के लिए काम कर रहे हैं। साथ ही उम्मीद जताई कि जब तक यह मंत्री रहेंगे झारखंड की सक्रियता बनी रहेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है लेकिन उसका जो प्रभाव परिलक्षित होना चाहिए, वह नहीं दिख रहा है। आज भी वे अपने पैरों पर खड़ा होने और आय स्रोत बढ़ाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। ऐसे में आदिवासी समाज आर्थिक रूप से कैसे समृद्ध हो, इस पर हम सभी को गंभीरता के साथ मंथन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य गठन के 22 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आदिवासियों के हित में विकास के जो कार्य होने चाहिए, वे नहीं हुए हैं। वे आज भी कई चुनौतियों से संघर्ष कर रहे हैं। विस्थापन का दंश झेलने के साथ पलायन करने को मजबूर हैं।

वन उपजों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की जरूरत

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के 14 हजार से ज्यादा ऐसे गांव हैं, जो वन उपज से सीधे जुड़े हुए हैं। लाह, इमली, करंज और शहद जैसे कई वन उपज का उत्पादन कर रहे हैं लेकिन उन्हें एमएसपी तय नहीं होने से बाजार मूल्य से काफी कम कीमत मिलती है। यहां बिचौलिया हावी हैं। हमारी सरकार ने सिदो कान्हू कृषि एवं वनोपज फेडरेशन का गठन किया है। इसके माध्यम से उनके वन उपज को एकत्रित किया जाएगा और किसानों को इसका बाजार मूल्य देने का काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने वन उपज के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि इस दिशा में जल्द ही किसान मेले का आयोजन होगा और किसानों को इससे संबंधित जानकारी और प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार झा, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राईफेड) की मैनेजिंग डायरेक्टर गीतांजलि गुप्ता, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, जनजातीय कार्य मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जनजातीय कार्य मंत्रालय की केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता, मंत्री जोबा मांझी, विधायक कोचे मुंडा, विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, विधायक विकास सिंह मुंडा एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कड़िया मुंडा और महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं हजारों महिलाएं मौजूद थीं।

हिन्दुस्थान समाचार/ वंदना/चंद्र प्रकाश

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