विनोद शुक्ल के निधन पर साहित्य अकादेमी की शोक सभा, उनके लेखन को पवित्र ऋचा जैसा बताया
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (हि.स.)। साहित्य अकादेमी कार्यालय में बुधवार को प्रख्यात उपन्यासकार, कवि विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया। शोकसभा में साहित्य अकादेमी की सचिव पल्लवी प्रशांत होलकर सहित कार्यालय के अनेक पदाधिकारी शामिल हुए।
पल्लवी प्रशांत होलकर ने श्रद्धांजलि संदेश पाठ के बाद उनके सम्मान में साहित्य अकादेमी के दिल्ली कार्यालय सहित सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में आधे दिन का अवकाश घोषित किया। उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य, हिंदी के अप्रतिम गद्यकार और कवि विनोद कुमार शुक्ल का 23 दिसम्बर को रायपुर में इलाज के दौरान निधन हो गया।
विराट महाजीवन के स्मृति आख्यानकार, भाष्यकार और प्रवक्ता विनोद कुमार शुक्ल के लिए रचना करना सांस लेने की तरह स्वाभाविक क्रिया रही है, इसीलिए विनोद कुमार शुक्ल का संपूर्ण लेखन किसी पवित्र ऋचा की तरह प्रतीत होता है। विनोद कुमार शुक्ल की रचनाओं की पहचान सरल भाषा, गहन संवेदना और जादुई यथार्थवाद रही है। सामान्य जीवन, अकेलेपन, उम्मीद और मानवीय रिश्तों को उन्होंने बेहद सहज लेकिन प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कियाl
विनोद शुक्ल का रचना संसार
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प्रमुख उपन्यास- 'नौकर की कमीज', 'खिलेगा तो देखेंगे', 'दीवार में एक खिड़की रहती थी', 'हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़'।
प्रसिद्ध कहानी संग्रह- 'पेड़ पर कमरा', 'महाविद्यालय', 'घोड़ा और अन्य कहानियां'।
कविता संग्रह- 'लगभग जयहिंद', 'वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह', 'सब कुछ होना बचा रहेगा', 'अतिरिक्त नहीं', 'कविता से लंबी कविता' और 'कभी के बाद अभी'।
विनोद शुक्ल की कई रचनाओं का मराठी, मलयालम, अंग्रेजी तथा जर्मन भाषाओं में अनुवाद।
'नौकर की कमीज' पर प्रख्यात फिल्मकार मणि कौल ने इसी नाम से यादगार फिल्म बनाई।
ज्ञानपीठ सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान
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विनोद कुमार शुक्ल को साहित्य अकादेमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, अखिल भारतीय भवानी प्रसाद मिश्र सम्मान, सृजन भारतीय सम्मान, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, रचना समग्र पुरस्कार एवं हिंदी गौरव सम्मान आदि कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले।
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हिन्दुस्थान समाचार / माधवी त्रिपाठी

