शिक्षा के साथ संस्कार से होगा मानव का समग्र विकास: सुरेश सोनी

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शिक्षा के साथ संस्कार से होगा मानव का समग्र विकास: सुरेश सोनी


देहरादून, 20 मई (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार का होना अति आवश्यक है। शिक्षा और संस्कृति के माध्यम से ही जीवन मूल्यों और जीवन दृष्टि का निर्माण होता है। संस्कार जीवन मूल्य और मन को बदलते हैं। शिक्षा तो कई जगह कई स्कूल में मिल जाती है। इसी ध्येय को लेकर विद्या भारती के स्कूलों में शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए जाते हैं जिससे विद्यार्थी का समग्र विकास होता है।

सुरेश सोनी ने मंगलवार को देहरादून के मांडूवाला स्थित सरस्तती विद्या मंदिर के छात्रावास शिलान्यास कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता ये बातें कही। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में हर जगह डेवलपमेंट शब्द की चर्चा होती है और परिवेश व परिसर का विकास भी तेजी के साथ हो रहा है लेकिन व्यक्ति का जीवन मूल्य और व्यवहार की आज तुलना करने की जरुरत है। अच्छे भवन, बांध और सड़क बन रही हैं वहीं दूसरी ओर मनुष्य पिछड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि सौ साल पहले का व्यक्ति जीतना संवेदनशील था, आज उसमे अंतर दिख रहा है। जीवन के स्तर में कमी आ रही है। आज परिवेश और परिसर का विकास की तुलना में मनुष्य का विकास जरुरी है। मुनष्य को संस्कारित करना जीवन का सबसे बड़ा काम है। अगर वो नहीं हुआ तो जितनी शिक्षा बढ़ती, उतनी समस्या भी बढ़ती है।

उन्होंने कहा कि समय-समय पर शिक्षा का विकास हुआ किन्तु इससे हमारे जीवन में मौलिक परिवर्तन नहीं आया। भारत में कहा गया है कि शिक्षा जरुरी है लेकिन उससे भी गहरे संस्कार जरुरी हैं। आज हम देखते हैं कि विज्ञान, तकनीकी संसाधन बढ़ गए हैं, किन्तु क्या हम वास्तव में उन्नति कर पा रहे हैं? हम प्राप्त और अर्जित संसाधनों और ज्ञान का उपयोग ठीक दिशा में कर पाएं, इसके लिए मानव का सबसे पहले समग्र विकास आवश्यक है। आदमी को अधिक संवेदनशील संस्कार ही बनाते हैं। इसी ध्येय को लेकर विद्या भारती अपना कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा कि एक लंबे समय बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है और इस नीति में भारत की मूलभूत बातों को स्वीकार किया गया है। हमें अपने जीवन मूल्य को पहचानने होंगे। प्राचीन काल में हमारी शिक्षा का उद्देश्य मानव का समग्र विकास करना रहा है। हमारी शिक्षा को पंचकोशीय शिक्षा कहा जाता है। एक मुनष्य का समग्र विकास करना है तो उन्हें पंचकोशी होनी चाहिए। यह आवश्यकता महसूस की गई कि बच्चों का समग्र विकास हो इस दृष्टि से नई शिक्षा नीति में आवश्यक तत्वों को सम्मिलित किया गया है। शिक्षा के अन्दर भारतीयता लाने का प्रयास इस शिक्षा नीति में किया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

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