आरएसएस राष्ट्र सेवा में लगा संगठन, उसकी आलोचना संविधान के खिलाफ

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आरएसएस राष्ट्र सेवा में लगा संगठन, उसकी आलोचना संविधान के खिलाफ


नई दिल्ली, 31 जुलाई (हि.स.)। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को देशसेवा में कार्य करने वाला संगठन बताया और कहा कि ऐसे संगठन के खिलाफ बोलना संविधान की आलोचना करने के समान है। संगठन को भारतीय संविधान के तहत अपना कार्य करने का अधिकार मिला है।

राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के नेता रामजीलाल सुमन की आरएसएस पर की गई टिप्पणी पर सभापति ने आपत्ति जताते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि वे पहले ही आरएसएस के बारे में कह चुके हैं कि संगठन की एक साफ छवि है। हालांकि सदस्य को बोलने से रोकने पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने आपत्ति जताई और कहा कि वे नियमों के तहत अपनी बात रख रहे हैं।

खरगे के बयान के बाद सभापति ने रूलिंग देते हुए कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जिसके पास इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूर्ण संवैधानिक अधिकार है। यह संगठन बेदाग साख रखता है, इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि एक संगठन के रूप में आरएसएस राष्ट्रीय कल्याण, हमारी संस्कृति के लिए योगदान दे रहा है और वास्तव में हर किसी को ऐसे किसी भी संगठन पर गर्व करना चाहिए जो इस तरह से कार्य कर रहा है।

सभापति ने कहा कि सदस्य भारत के संविधान को दबा रहे हैं। मैं किसी भी संगठन को कठघरे में खड़ा करने की इजाजत नहीं दूंगा। यह संविधान का उल्लंघन है। आरएसएस को इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है।

 

हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा / रामानुज

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