शांति विधेयक देश में शांति नहीं, परमाणु खतरा बढ़ाएगा: पी. विल्सन
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (हि.स.)। राज्य सभा में गुरुवार को सस्टेनेबल हार्नेसिंग ऑफ एटोमिक एनर्जी फॉर ट्रांसफॉरमेशन (शांति) विधेयक पर चर्चा के दौरान डीएमके के सांसद पी विल्सन ने कहा कि नाम भले ही इस विधेयक का शांति हो, लेकिन यह बिल देश में शांति नहीं लाएगा, बल्कि परमाणु खतरा बढ़ाएगा।
सांसद ने आरोप लगाया कि यह बिल परमाणु ऊर्जा जैसे बेहद संवेदनशील क्षेत्र को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी संप्रभु जिम्मेदारी से पीछे हट रही है और निजी कंपनियों को परमाणु खनन, रिएक्टर संचालन और रेडियोधर्मी कचरे तक का अधिकार देने जा रही है।
उन्होंने बताया कि बिल में ऐसा प्रावधान है जिससे एक ही कंपनी को पूरे परमाणु ईंधन चक्र का लाइसेंस मिल सकता है। इससे शक्ति का खतरनाक केंद्रीकरण होगा और अगर एक भी चूक हुई तो देश को भारी नुकसान हो सकता है।
सांसद ने चेतावनी दी कि परमाणु ऊर्जा हवाई अड्डे या बंदरगाह जैसी सामान्य परियोजना नहीं है। इसमें यूरेनियम, प्लूटोनियम और रेडियोधर्मी कचरा शामिल होता है, जो पीढ़ियों तक नुकसान पहुंचा सकता है।
चेरनोबिल और फुकुशिमा जैसी घटनाओं का उदाहरण देते हुए पी. विल्सन ने कहा कि एक छोटी गलती भी बड़ी तबाही बन सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, चक्रवात और गर्मी बढ़ रही है, जिससे परमाणु संयंत्र और ज्यादा असुरक्षित हो गए हैं। इसके बावजूद सरकार बिना ठोस सुरक्षा व्यवस्था के विस्तार करना चाहती है।
सबसे गंभीर आरोप यह लगाया गया कि इस बिल में निजी कंपनियों की जिम्मेदारी बहुत कम रखी गई है। बड़े परमाणु हादसे की स्थिति में कंपनियों पर सिर्फ 3,000 करोड़ रुपये तक की जिम्मेदारी होगी, जबकि बाकी नुकसान सरकार और टैक्स देने वाले लोगों को उठाना पड़ेगा।
उन्होंने मांग की कि शांति बिल 2025 को मौजूदा रूप में खारिज किया जाए या इसे सेलेक्ट कमेटी या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी ) को भेजा जाए, ताकि इस पर दोबारा गंभीर विचार हो सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

