बंगाल विधानसभा में 'अपराजिता विधेयक' पारित, दुष्कर्म के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान

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बंगाल विधानसभा में 'अपराजिता विधेयक' पारित, दुष्कर्म के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान

 
कोलकाता, 3 सितंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 'अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल अपराध कानून संशोधन) विधेयक 2024' मंगलवार को पारित कर दिया। इस विधेयक में दुष्कर्म और महिला उत्पीड़न के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इसे अब राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।

नए कानून के तहत दुष्कर्म मामलों की 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी। इसके अलावा पीड़ित के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा होगी। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुए हालिया घटनाक्रम के बाद पश्चिम बंगाल में दुष्कर्म एवं महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग उठ रही थी।

विधानसभा में पारित संशोधन विधेयक में दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। दोषी को जुर्माना भी देना होगा। इसके अलावा दोषियों को मृत्युदंड की सजा भी दी जा सकती है। जुर्माने की राशि का उपयोग पीड़िता की चिकित्सा और पुनर्वास के लिए किया जाएगा, जिसे विशेष अदालत के निर्धारित समय सीमा के भीतर देना अनिवार्य होगा। जैसा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 461 में उल्लेख किया गया है।

संशोधन विधेयक का उद्देश्य वेस्ट बंगाल क्रिमिनल लॉ एंड अमेंडमेंट बिल में बदलाव कर दुष्कर्म और यौन शोषण के मामलों में महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा बढ़ाना है। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 64, 66, 70(1), 71, 72(1), 73, 124(1) और 124 (2) में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। इसमें मुख्य तौर पर दुष्कर्म की सजा, दुष्कर्म और हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, लगातार अपराध करना, पीड़ित की पहचान उजागर, एसिड अटैक के मामले शामिल हैं। इसमें सेक्शन 65(1), 65 (2) और 70 (2) को हटाने का प्रस्ताव है।

इसके अतिरिक्त भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में नए प्रावधान जोड़ने का भी प्रस्ताव है। विधेयक में कहा गया है कि एफआईआर दर्ज होने के 21 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी। यदि इस समय सीमा में जांच पूरी नहीं होती है, तो इसे 15 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है लेकिन इससे अधिक समय नहीं दिया जाएगा। ममता सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

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