दोपहर 12:20 बजे होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा : चम्पत राय
अयोध्या, 08 जनवरी (हि.स.)। अयोध्या में बन रहे भगवान श्रीराम जन्मभूमि नवीन मंदिर में रामलला के नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का समय निर्धारित हो गया है। पौष शुक्ल द्वादशी दिन सोमवार की दोपहर 12:20 बजे प्राण प्रतिष्ठा होगी।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चम्पत राय ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक डॉ मोहन भगवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष और मणि रामदास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास महराज उपस्थित रहेंगे। इतना ही नहीं देश के विभिन्न क्षेत्रों से मठ-मन्दिरों के चार हजार से अधिक संत, महंत और साधु-सन्यासी भी रहेंगे। भारत की 125 से अधिक परंपराओं तथा उपासना पद्धतियों से जुड़े आचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उपस्थित रहेंगे। इनके आलावा सभी 13 अखाड़े, सभी 6 दर्शन और उनके अनुयायी संत महापुरुषों को आमंत्रण भेजा गया है। चम्पत राय ने बताया कि भारत में जितनी भी विधायें हैं, उनसे जुड़े लगभग 2500 लोगों को भी न्योता भेजा गया है।
देशवासियों को संदेश
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय ने देशवासियों को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इच्छा जताई है कि लोग अपने-अपने क्षेत्र के मंदिरों, सार्वजनिक स्थलों आदि पर स्वच्छता अभियान चलाएं। यह अभियान 15 जनवरी से शुरू करें और 22 जनवरी तक चलाएं। उन्होंने इसकी वजह भगवान को स्वच्छता का प्रिय होना बताया। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को आस पड़ोस के लोगों के साथ अपने नजदीक वाले मंदिर में जाएं तथा वहां भजन कीर्तन करें। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर को आनंदोत्सव के रूप में मनाएं। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि आवश्यकता के मुताबिक इन स्थानों पर एलईडी, टीवी लगाएं और दूरदर्शन द्वारा होने वाले सीधा प्रसारण से अयोध्या में हो रही प्राण प्रतिष्ठा के सहभागी बनें। 12:20 बजे प्राण प्रतिष्ठा के बाद स्थानीय मंदिरों में आरती करें। सम्बन्धित मंदिरों में सम्बन्धित देवी देवता की ही आरती करें। ऐसा कर के हम सभी मंदिरों को जागृत कर सकते हैं। आरती पूरा होने बाद लोगों में प्रसाद का वितरण करें। प्रसाद का कोई स्वरूप नहीं है। जो, जिस मंदिर में प्रसाद बंटता होगा, वही प्रसाद बांटा जाए। स्थानीय उपलब्धता और सामर्थ्य के आधार पर ही प्रसाद का चयन व वितरण करें। शाम के समय दीपक जलाएं और घर आंगन के साथ सृष्टि को आलोकित करें। करोड़ों लोगों के दीपक जलाने का संदेश सारे संसार को जाना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ आमोदकांत/आकाश
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