''राम फिर लौटे'' पुस्तक का हुआ लोकार्पण

''राम फिर लौटे'' पुस्तक का हुआ लोकार्पण
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''राम फिर लौटे'' पुस्तक का हुआ लोकार्पण




नई दिल्ली, 09 दिसंबर (हि.स.)। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के उद्घाटन से पहले भगवान राम के चरित्र, राम मंदिर से जुड़े आंदोलन के साथ-साथ अयोध्या के सांस्कृतिक मूल्य पर रोशनी डालती वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा की किताब ‘राम फिर लौटे’ का लोकार्पण शनिवार को नई दिल्ली के आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में हुआ।

पुस्तक का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, श्री ज्ञानानंदनी जी महाराज, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता, विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार के हाथों किया गया।

इस अवसर पर दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि ''राम फिर लौटे'' पुस्तक अद्भुत है। यह भगवान राम की प्रेरणा से लिखी गई है। भगवान राम पर और भी पुस्तकें भारतीय भाषाओं में आनी चाहिए। हमें राम मंदिर आंदोलन के इतिहास व संघर्ष यात्रा को आने वाली पीढ़ियों को बताना होगा। यह पुस्तक राम मंदिर आंदोलन की यात्रा, संघर्ष, भगवान राम का जीवन व आंदोलन से जुड़े लोगों के बारे में बताती है। सभी को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पुस्तक बताती है कि कैसे राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत एक सिख भाई ने थी। यह पुस्तक आठ अध्याय में लिखी गई है। हर अध्याय हमें राम से जोड़ता है। उनके समीप ले जाता है। उन्होंने कहा कि अहिंसा हमारी मिट्टी का मूल है। राम मंदिर को वापस करने के लिए लंबे समय तक अनुरोध किया गया लेकिन हमारी नहीं सुनी गई थी। शायद मजबूर होकर हिन्दूजन ने बाबरी मज्जिद का ढांचा तोड़ा होगा।

होसबाले ने कहा कि अयोध्या एक शहर नहीं, राम एक कल्पना नहीं बल्कि राम एक इतिहास हैं, राम मानवता के भविष्य हैं। राम स्वंय एक धर्म हैं। राम सर्वोत्तम मूल्य हैं। जहां राम हैं, वहां संसार है। मुगलकाल के बाद से दिल्ली और दिल्ली के बाहर मुगलों का प्रभाव रहा। अब समय आ गया है, जब अयोध्या का प्रभाव दिल्ली सहित समूचे विश्व में हो।

कार्यक्रम के दौरान स्वामी श्री ज्ञानानंदनी जी महाराज ने कहा कि भारत में तुष्टीकरण के बादल छंटे हैं। दुनिया में सनातन की स्थिति अनुकूल हुई है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से राष्ट्र की नींव मजबूत हुई है।

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राम मंदिर हमारी आस्था का प्रतीक है। बाबर रूपी शक्तियों से आज भी हमें बचने की जरूरत है। यह पुस्तक अद्भुत है। इसे सभी को पढ़ना चाहिए। यह तर्क व तथ्य पर आधारित है।

विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि 500 साल की हमारी प्रतीक्षा पूरी हुई है। 20 पीढ़ियों का त्याग रंग ला रहा है। अब समय आ गया है, जब 22 जनवरी को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गर्भ गृह में रामलला को विराजमान किया जाएगा।

पुस्तक के लेखक हेमंत शर्मा ने कहा कि यह पुस्तक भगवान राम की प्रेरणा से लिखी गई है। जो उन्होंने आदेश दिया, वही लिखा है। वह इस पुस्तक के गणेश हैं। व्यास स्वयं भगवान राम हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/आशुतोष

/दधिबल

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