मंदिरों के संचालन में हर जाति-बिरादरी की सहभागिता हो : विहिप

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मंदिरों के संचालन में हर जाति-बिरादरी की सहभागिता हो : विहिप


राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा, मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए

अयोध्या, 15 जनवरी (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा है कि हिंदू मंदिरों के संचालन में हर जाति-बिरादरी की सहभागिता होनी चाहिए। साथ ही सभी मंदिरों को सरकारी से नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए। इसके लिए विहिप देशव्यापी अभियान शुरू करेगी। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से चर्चा में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि विहिप की स्थापना के 60 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसलिए श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद संगठन विस्तार के साथ-साथ सामाजिक समरसता और सेवा के कार्यों पर विहिप फोकस करेगी। संगठन का प्रयास है कि हम अपने काम को जन्माष्टमी तक एक लाख स्थानों तक लेकर जाएं। बजरंग दल की शौर्य जागरण यात्रा और राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के निमित्त जनजागरण और संपर्क से संगठन विस्तार में मदद मिलेगी।

मिलिंद परांडे ने कहा कि संगठनात्मक दृष्टि से 1100 जिए बनाए गए हैं। अभी हमारे सेवा कार्य 400 जिलों तक पहुंचे हैं। इसे जल्द ही 800 जिलों तक पहुंचा जाएगा। आगामी वर्षों में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के प्रयास करेंगे, क्योंकि यह हिन्दुओं के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार है। कोई मस्जिद और चर्च सरकारी नियंत्रण में नहीं हैं। हिन्दू मंदिरों का संचालन हिन्दू समाज को ही करना चाहिए। इसमें हर-जाति बिरादरी की सहभागिता हो और हिन्दू का धन हिन्दू के लिए उपयोग में आए।

विहिप महामंत्री ने कहा कि धर्मान्तरण का बहुत बड़ा षड़यंत्र चल रहा है। कुछ ही राज्यों में धर्मान्तरण विरोधी कानून है। यह सारे राज्यों में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर तो बन रहा है लेकिन हमारे ह्दय में भी रामजी का प्राकट्य होना चाहिए। वह रामराज्य की दिशा में जाना चाहिए। रामराज्य सर्वकल्याणकारी है। भगवान राम जीवन पर्यंत अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे। उन्होंने लोक जागरण किया । हर एक को अन्याय के विरुद्ध खड़े होने का साहस रखना चाहिए।

विहिप नेता परांडे ने कहा कि भगवान राम के जीवन में सामाजिक समरसता है। वह जनजातीय क्षेत्रों और वनवासी समाज के बीच गए। हर जाति-बिरादरी के लोगों को ह्रदय से लगाया । यही हिन्दू दृष्टि है। कर्तव्य को उन्होंने प्राथमिकता दी। राम जी का कर्तव्य कठोर जीवन रहा। उनके जीवन में चमत्कार नहीं है। एक मनुष्य को जीवन कैसा जीना चाहिए, यह आदर्श उन्होंने प्रस्तुत किया।

हिन्दुस्थान समाचार /बृजनंदन /मुकुंद

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