बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं से राज्यपाल ने की मुलाकात, दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों की मजबूती का दिया संदेश
कोलकाता, 17 दिसंबर (हि.स.) ।पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने मंगलवार को राजभवन में बांग्लादेश और भारतीय सशस्त्र बलों के प्रतिनिधिमंडल, 1971 के युद्ध के दिग्गजों और पूर्वी सिक्किम के छात्रों के साथ विशेष बैठक की। इस अवसर पर पूर्वी कमान के चीफ ऑफ स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल आर. सी. श्रीकांत, वीएसएम, और बांग्लादेश सेना के मेजर जनरल मोहम्मद अमीनुर रहमान उपस्थित थे। बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करते हुए 1971 के युद्ध के दिग्गजों के योगदान को सम्मानित करना था। राज्यपाल ने इस अवसर पर मुक्ति योद्धाओं को भारत की ओर से संदेश दिया कि दोनों देशों के संबंध ऐतिहासिक रहे हैं और ये सतत मजबूत ही होंगे।
राजभवन में आयोजित बैठक ने भारत-बांग्लादेश मित्रता और सहयोग के महत्व को पुनर्स्थापित किया। दोनों देशों के सशस्त्र बलों के प्रतिनिधियों और युद्ध के दिग्गजों की उपस्थिति ने 1971 के युद्ध की स्मृतियों को ताजा किया और युवा पीढ़ी को उस समय की घटनाओं से अवगत कराया।
इस अवसर पर राज्यपाल डॉ. बोस ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों और सहयोग की सराहना की। उन्होंने 1971 के युद्ध के दिग्गजों के बलिदान और समर्पण को याद करते हुए कहा कि उनकी वीरता और साहस ने दक्षिण एशिया के इतिहास को नया मोड़ दिया।
1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध दक्षिण एशिया के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने बांग्लादेश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह युद्ध तीन दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 16 दिसंबर 1971 को समाप्त हुआ, जब पाकिस्तानी सेना ने ढाका में आत्मसमर्पण किया। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र होकर बांग्लादेश के रूप में स्थापित हुआ।
इस युद्ध में भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी ने मिलकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की। युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर सफल अभियान चलाए, जिससे पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर होना पड़ा। इस युद्ध में लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया था, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर