कांग्रेस ने की पटियाला में कर्नल से पुलिस मारपीट की घटना की न्यायिक जांच की मांग


कहा- पटियाला के एसएसपी नानक सिंह के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया जाए
नई दिल्ली, 22 मार्च (हि.स.)। कांग्रेस ने पंजाब में सेना के कर्नल पुष्पेंद्र सिंह बाठ और उनके पुत्र के साथ मारपीट करने की घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। इसके साथ ही पटियाला के एसएसपी नानक सिंह को वहां से हटाने और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। पार्टी ने इस घटना के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी (आआपा) सरकार को दोषी ठहराया है।
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एआईसीसी सचिव एवं पंजाब के सह प्रभारी आलोक शर्मा और एआईसीसी के भूतपूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के चेयरमैन कर्नल रोहित चौधरी ने आज यहां कांग्रेस मुख्यालय में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इस घटना के लिए पुलिस और पंजाब सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि यह सबकुछ उस सीमावर्ती राज्य पंजाब में हुआ, जहां सेना और पुलिस के बीच अत्यंत तालमेल होना चाहिए। पंजाब में 35 प्रतिशत जवान किसान परिवारों से आते हैं। जहां देश में 'जय जवान, जय किसान' का नारा बुलंद किया जाता है, वहीं पंजाब की भगवंत मान सरकार अब 'मारो जवान को, मारो किसान को' पर उतर आई है।
उन्होंने कहा कि पटियाला में सेना के सेवारत कर्नल और उनके बेटे के साथ पंजाब पुलिस के कर्मियों द्वारा 13-14 मार्च की रात बर्बरता से मारपीट की गई। ये बहुत ही गंभीर मामला है। इस घटना में कर्नल का हाथ टूट गया, लेकिन 4 दिन तक एफआईआर नहीं की गई। पीड़ित कर्नल घटना वाली रात 1 बजे अस्पताल पहुंचे लेकिन सुबह 6 बजे उनका इलाज किया गया। इस केस में 4 दिन तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई। कल राज्यपाल के हस्तक्षेप से पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने की बात की गई, लेकिन सुरक्षा किससे? पंजाब पुलिस के वर्दी वाले गुंडों से! आज हालात ये हैं कि एक फौजी पंजाब में अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसएसपी नानक सिंह आरोपितों को बचाने का काम कर रहे हैं। ऐसे में इन्हें भी एफआईआर में नामजद करना चाहिए। इस घटना में पहले कहा गया कि कर्नल नशे में थे लेकिन रिपोर्ट में कुछ नहीं निकला। फिर पीड़ित परिवार पर केस ख़त्म करने का दबाव डाला गया। इसके 8 दिन बाद परिवार को सुरक्षा दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि पुलिस कह रही है कि कर्नल पुष्पेंद्र ने 14 मार्च को जो स्टेटमेंट दिया था, उसके आधार पर हम 21 मार्च को एफआईआर दर्ज कर रहे हैं। कल मीडिया में खबर आई कि 12 पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया। ऐसे में हमारे सवाल हैं कि एफआईआर में 12 पुलिसवालों का नाम शामिल क्यों नहीं है? पीड़ित परिवार को एफआईआर की कॉपी क्यों नहीं दी जा रही? आखिर में अब इस मामले में एसआईटी गठन का ड्रामा किया गया है, यानि आरोपित पुलिसवालों की जांच पुलिस करेगी? इस घटनाक्रम के विरोध में आज पूरे पंजाब में धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।
कर्नल रोहित चौधरी ने सरकार से मांग की कि इस घटना की रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच कराई जाए, जिसमें सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल किए जाएं। एसएसपी नानक सिंह पर नामजद एफआईआर दर्ज की जाए। चीफ आफ आर्मी स्टाफ से मांग की कि वो राष्ट्रपति से मिलकर इस तरह के हमले रुकवाएं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मांग की केंद्र और राज्यों में तुरंत प्रभाव से एक एक्ससर्विसमेन कमीशन बनाया जाए, जिसके पास न्यायिक अधिकार हों। रक्षा मंत्री और गृह मंत्री से मांग की कि देशभर में सर्विंग या सेवानिवृत्त फौजियों के परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव