पंजाब के पास अन्य राज्यों को देने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं: भगवंत मान

पंजाब के पास अन्य राज्यों को देने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं: भगवंत मान
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पंजाब के पास अन्य राज्यों को देने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं: भगवंत मान


- अंतरराज्यीय बैठक में एस.वाई.एल. के निर्माण का किया विरोध

- कहा, भूजल का स्तर गिरने के कारण पंजाब पहले ही डार्क ज़ोन में

- सभी राज्यों के हित में एस.वाई.एल. की बजाय वाई.एस.एल. की मांग की

चंडीगढ़, 28 दिसंबर (हि.स.)। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर के निर्माण का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि राज्य के पास किसी को देने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं है।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा गुरुवार को बुलाई गई अंतरराज्यीय बैठक में पंजाब के केस को ज़ोरदार ढंग से रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को अपनी सिंचाई ज़रूरतें पूरी करने के लिए 54 एम.ए.एफ. से अधिक पानी की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि पंजाब के पास केवल 14 एम.ए.एफ. पानी है, जो किसानों को दिया जा रहा है। भगवंत मान ने कहा कि ऐसे हालात में किसी अन्य राज्य को पानी की एक बूंद भी देने का सवाल ही पैदा नहीं होता और पंजाब एस.वाई.एल. का निर्माण का सख़्ती से विरोध करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज नदी पहले ही सूख चुकी है और इसमें पानी की एक बूंद भी देने का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए कोई अतिरिक्त पानी नहीं है और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार पानी की उपलब्धता का फिर से मूल्यांकन करना ज़रूरी है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब के 76.5 प्रतिशत ब्लॉक (153 में से 117) में भूजल का स्तर बहुत नीचे जा चुका है, जहां पानी निकालने का पड़ाव 100 प्रतिशत को पार कर गया है जबकि हरियाणा में केवल 61.5 प्रतिशत (143 में से 88) ब्लॉकों में पानी का स्तर नीचे गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के संकट को कभी भी नजऱअंदाज़ नहीं किया जा सकता, जिस कारण राज्य सरकार एस.वाई.एल. के निर्माण के लिए उठाए गए किसी भी कदम का डटकर विरोध करेगी। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर की बजाय अब इस प्रोजेक्ट को यमुना-सतलुज लिंक (वाई.एस.एल.) के तौर पर विचारा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सतलुज नदी पहले ही सूख चुकी है, और इसमें से पानी की एक बूँद भी देने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

हिन्दुस्थान समाचार/संजीव/प्रभात

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