गरबा पर गर्व : सदियों पुरानी विरासत और संस्कृति को वैश्विक मंच पर जगह: मुख्यमंत्री
गांधीनगर, 06 दिसंबर (हि.स.)। गुजरात की विशिष्ठ पहचान गरबा को यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया है। गरबा को वैश्विक पहचान मिलने पर आम गुजराती से लेकर मुख्यमंत्री समेत लोगों ने गर्व की अनुभूति के साथ प्रसन्नता जाहिर की है। गरबा को सांस्कृतिक विरासत में स्थान मिलने पर बुधवार रात को अंबाजी और पावागढ़ में इसकी उत्सव मनाया जा रहा है।
यूनेस्को की घोषणा के बाद से ही गुजरात में आनंद का वातावरण है। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक में इसके प्रति ललक देखने को मिलती है। खासकर जब नवरात्र का त्योहार आता है तो पूरा गुजरात 09 दिनों तक माता की आराधना करते हुए गरबा कर उन्हें रिझाने की कोशिश करता है। परंपरागत शेरी गरबा से लेकर आधुनिक भक्ति गीतों पर भी गुजरात में गरबा की सदियों पुरानी परंपरा है। गरबा को यूनेस्को द्वारा वैश्विक पहचान देते हुए अमूर्त विरासत घोषित किए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद। उनकी अगुवाई में भारत की सदियों पुरानी विरासत और संस्कृति को वैश्विक मंच पर जगह मिल रही है। मुख्यमंत्री ने अपने एक्स अकाउंट पर अपनी भावना प्रकट की है।
वहीं केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि 'गुजरात के गरबा' को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की सूची में अंकित किया गया है। यह देश की तरफ से 15वीं विरासत हैं, जिसे यह गौरव हासिल हुआ है। रेड्डी ने लिखा है कि गरबा उत्सव, भक्ति, सामाजिक समानता का बड़ा प्रतीक एक परंपरा का प्रतीक है। गुजरात के वडोदरा समेत अहमदाबाद, राजकोट और सूरत में विशाल गरबों का आयोजन होता है। सबसे बड़े गरबा आयोजनों का केंद्र वडोदरा है। कुछ महीने पहले यूएनडब्ल्यूटीओ ने गुजरात के कच्छ जिले के धोरडो गांव को बेस्ट टूरिज्म विलेज की सूची में शामिल किया था।
हिन्दुस्थान समाचार/बिनोद/आकाश
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