श्रीराम का चिन्तन व व्यवहार लाना ही रामराज्य का आधार : चम्पत राय

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श्रीराम का चिन्तन व व्यवहार लाना ही रामराज्य का आधार : चम्पत राय


-कई अनैतिक कार्यों से रामराज्य कैसे सम्भव : मिथिलेशनंदिनी शरण

प्रयागराज, 06 मार्च (हि.स.)। ज़िला पंचायत प्रेक्षागृह में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से 'राम राज्य की उद्घोषणा-प्रण से प्राण प्रतिष्ठा का महापर्व' पर बुधवार को संगोष्ठी आयोजित की गई।

इस मौके पर विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष एवं श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय ने कहा कि राम का चिंतन और व्यवहार को ध्यान में लाना, परस्पर प्रीति, ऋषि मुनियों की सलाह, सामाजिक व्यवस्था, अपने पूर्वजों के बनाए नियमों में पारदर्शिता व आत्मीयता ही रामराज्य का आधार हो सकता है। यह एक सामाजिक चिंतन, सत्य, अहिंसा और त्याग का विषय है। यह प्रेम और सौहार्द स्थापित करने का विषय है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय ने आगे कहा कि संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने जो काम किया, उसी का यह परिणाम है। उन्होंने 'राम राज्य की उद्घोषणा' पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत में संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया गया। आखिरकार सपना साकार हो गया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले डॉ हेडगेवार बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के थे। इस अवसर पर उन्होंने श्रीराम जन्म भूमि को लेकर अपने विचार व्यक्त किये।

विशिष्ट अतिथि हनुमंत पीठ के महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण ने कहा कि क्या रामराज्य की घोषणा हो सकती है? यह गम्भीर प्रश्न है। उन्होंने कहा कि घोषणाओं से निर्मिति नहीं होता। श्री राम हमारे चिन्तन में, चरित्र में कब आयेंगे। कैसे उद्घोषणा होगी? उन्होंने कहा कि राम राज्य में चोरी व तस्करी नहीं होती थी,लोगों में परस्पर द्वेष भाव नहीं था। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में कई ऐसे कार्य होते हैं जो अनैतिक हैं। इससे रामराज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि यदि रामराज्य की स्थिति है तो वह कहां है?

आचार्य ने आगे कहा कि राम राज्य का असर दूर-दूर तक दुनिया की सीमाओं तक दिखना चाहिए। प्रभु श्री राम ने अपने गुरू वशिष्ठ से कहा था कि वानर, भालू, राक्षस सभी हमारे सखा हैं और हम सभी मिलकर रहते हैं। इनसे हमारा रामराज्य स्थापित है। उन्होंने कहा कि हम जिस वातावरण में जी रहे हैं, हमारी अनुभूतियों में श्री राम आ जायें तो समझो रामराज है। उन्होंने यह भी कहा कि रामराज्य केवल त्रेता युग में हैं, कलियुग में नहीं।

उच्च न्यायालय के अपर महाधिवक्ता अशोक मेहता ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र सर्वोच्च आदर्शों की प्राण प्रतिष्ठा है। भारत के संविधान में राम राज्य नहीं है। श्री राम भारत के आदर्श, विचार, प्रतिष्ठा और प्रभाव है। राम हमारे ही नहीं सबके हैं। आने वाले समय में सफलता ही सफलता है। भारत आगे बढ़ता जायेगा। यह स्व.अशोक सिंहल का स्वप्न था, जो साकार हो रहा है।

विहिप काशी प्रांत के अध्यक्ष से.नि पुलिस महानिदेशक कवीन्द्र प्रताप सिंह एवं संयोजक ज्ञान गुण सागर वाहिनी के अध्यक्ष कुश श्रीवास्तव रहे। विहिप काशी प्रांत अध्यक्ष केपी सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन कर सभी का आभार व्यक्त किया एवं अतिथियों द्वारा विचारों का सार प्रस्तुत कर कार्यक्रम का समापन किया। आयोजन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वी.पी श्रीवास्तव,भाजपा से कुंज बिहारी मिश्र, नवीन शुक्ला,प्रतीक त्यागी एवं नगर के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिनिधि उपस्थित रहे। मंच संचालन आभा मधुर ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश

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