प्रधानमंत्री ने लेपचा में जवानों संग मनाई दिवाली, कहा- देश आपका हमेशा ऋणी रहेगा
- राष्ट्र निर्माण, देश की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ाने में योगदान के लिए सुरक्षा बलों को सराहा
- चीन सीमा के पास लेपचा में तैनात हैं आईटीबीपी और भारतीय सेना की टुकड़ियां
नई दिल्ली, 12 नवंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को हिमाचल प्रदेश के लेपचा में भारतीय सेना और आईटीबीपी जवानों के साथ दीपावली का त्योहार मनाया और उन्हें मिठाई भी खिलाई। प्रधानमंत्री को अचानक अपने बीच देखकर जवान भी आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने तैनात सुरक्षाकर्मियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कहा कि सीमा की हिफाजत करने के लिए देश आपका कर्जदार है। पिछले 30-35 सालों में एक भी दिवाली ऐसी नहीं रही, जो मैंने आपके साथ न मनाई हो। पीएम मोदी ने राष्ट्र निर्माण, देश की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ाने में उनके योगदान के लिए सुरक्षा बलों की भी सराहना की।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं हर साल सेना के जवानों के साथ दिवाली मनाता हूं। एक अयोध्या वह है, जहां भगवान राम हैं, लेकिन मेरे लिए यह भी एक अयोध्या है, जहां भारतीय सेना के जवान हैं। मेरा त्योहार वहां है, जहां आप हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं न तो प्रधानमंत्री था और न ही मुख्यमंत्री, तब भी मैं दिवाली के दौरान सुरक्षाबलों के साथ जश्न मनाने के लिए सीमावर्ती इलाकों में जाता था। देश के हर घर में हमारी सीमाओं की रक्षा करने वाले सभी सैनिकों के लिए प्रार्थना की जाती है। हालांकि, त्योहार वहीं मनाए जाते हैं, जहां परिवार होता है, लेकिन आज आप सभी अपने परिवार से दूर रहकर सीमा पर तैनात हैं, ये आपकी कर्तव्य निष्ठा की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि जहां सुरक्षा बल तैनात हैं, वह जगह मेरे लिए किसी मंदिर से कम नहीं है। पीएम मोदी ने राष्ट्र निर्माण, देश की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ाने में उनके योगदान के लिए सुरक्षा बलों की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि भारत से उम्मीदें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि भारत की सीमाएं सुरक्षित रहें। भारत तभी तक सुरक्षित है, जब तक उसके वीर सैनिक हिमालय की तरह अपनी सीमाओं पर डटे हुए हैं। भारत की सेना और सुरक्षा बल लगातार राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में पिछले वर्षों में 500 से अधिक महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया गया है। आज महिला पायलट राफेल जैसे लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। क्या ऐसा कोई मुद्दा है, जिसका समाधान हमारे जांबाजों ने नहीं दिया हो?
प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लेपचा में बहादुर सुरक्षाबलों के साथ दिवाली मनाना गहरी भावना और गर्व से भरा अनुभव रहा है। अपने परिवार से दूर, हमारे राष्ट्र के ये अभिभावक अपने समर्पण से हमारे जीवन को रोशन करते हैं। हमारे सुरक्षाबलों का साहस अटल है। अपने प्रियजनों से दूर, सबसे कठिन इलाकों में तैनात, उनका त्याग और समर्पण हमें सुरक्षित रखता है। भारत हमेशा इन नायकों का आभारी रहेगा, जो बहादुरी का आदर्श अवतार हैं।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और भारतीय सेना की टुकड़ियां चीन की सीमा के पास लेपचा में तैनात हैं। हिमाचल प्रदेश चीन के साथ 260 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। कुल लंबाई में से 140 किमी जनजातीय किन्नौर जिले में है, जबकि 80 किमी जनजातीय लाहौल और स्पीति जिले में है। आईटीबीपी की पांच बटालियन 20 चौकियों पर तैनात हैं, जो चीन से लगी सीमा की रक्षा करती हैं। प्रधानमंत्री को अचानक अपने बीच देखकर जवान भी आश्चर्यचकित रह गए। हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में स्थित लेपचा चेकपोस्ट चीनी सरहद से करीब 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस पोस्ट में फ्रंटलाइन पर इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और सेना के जवान तैनात हैं। इस चेक पोस्ट से नीचे की तरफ चीनी गांव है, जहां चीनी फौज तैनात हैं।
प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी 2014 से हर साल सैनिकों के साथ ही दिवाली मनाते रहे हैं। वर्ष 2014 में सियाचिन ग्लेशियर, वर्ष 2015 में पंजाब के अमृतसर, वर्ष 2016 में हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में पीएम ने सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी। इसके बाद वर्ष 2017 में कश्मीर के गुरेज, वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के केदारनाथ में और वर्ष 2019 में जम्मू संभाग के राजौरी में सेना के जवानों के साथ दिवाली मनाई थी। 2020 में पीएम मोदी ने दिवाली राजस्थान के जैसलमेर में मनाई थी। वर्ष 2021 में राजौरी जिला के नौशेरा और वर्ष 2022 में कारगिल में सैनिकों के साथ पीएम मोदी की दिवाली मनी है।
प्रधानमंत्री मोदी दशकों से सैनिकों के साथ दिवाली मानते आ रहे हैं। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी जवानों के साथ दिवाली मनाते थे। 2009 में मुख्यमंत्री रहते हुए वह जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिए भारत-चीन के नाथुला बॉर्डर पर पहुंचे थे। वे कई बार जवानों के साथ कच्छ में भी दिवाली मनाने के लिए पहुंचे। बीते सालों में उन्होंने इस परंपरा को 2001 में मुख्यमंत्री बनने के बाद तोड़ा था। तब उन्होंने बतौर सीएम अपनी पहली दिवाली सैनिकों के साथ नहीं, बल्कि कच्छ के भुज में मनाई थी। ऐसा उन्होंने कच्छ के भूकंप प्रभावितों के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए था। इस एक मौके को छोड़ दें तो पीएम मोदी हमेशा जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिए बॉर्डर पर जाते रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन
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