जयंत नार्लीकर को मरणोपरांत विज्ञान रत्न पुरस्कार
नई दिल्ली, 23 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 का विज्ञान रत्न पुरस्कार प्रो. जयंत विष्णु नार्लीकर को मरणोपरांत दिया गया। यह पुरस्कार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट और प्रेरणादायक योगदान के लिए देश का सर्वोच्च वैज्ञानिक सम्मान है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने यहां राष्ट्रपति भवन में मंगलवार को आयोजित समारोह में राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2025 प्रदान किए। इनमें विज्ञान रत्न के अलावा आठ वैज्ञानिकों को विज्ञान श्री पुरस्कार दिया गया और 14 युवा वैज्ञानिकों को विज्ञान युवा–शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जबकि विज्ञान टीम पुरस्कार टीम अरोमा मिशन सीएसआईआर को दिया।
राष्ट्रपति ने भौतिकी के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए पद्मविभूषण प्रो. जयंत विष्णु नार्लीकर को विज्ञान रत्न पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान किया।
राष्ट्रपति से आज विज्ञान श्री पुरस्कार प्राप्त करने वालों में डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह (कृषि विज्ञान), डॉ. यूसुफ मोहम्मद सेख (परमाणु ऊर्जा), डॉ. के. थंगराज (जैविक विज्ञान), प्रो. प्रदीप थलप्पिल (रसायन विज्ञान), प्रो. अनिरुद्ध भालचंद्र पंडित (इंजीनियरिंग विज्ञान), डॉ. एस. वेंकट मोहन (पर्यावरण विज्ञान), प्रो. महान एमजे (गणित एवं कंप्यूटर विज्ञान) और जयन एन (अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) शामिल हैं।
इसके अलावा विज्ञान युवा–शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से डॉ. जगदीश गुप्ता कपुगंती, डॉ. सतेंद्र कुमार मंगरौथिया, देबार्का सेनगुप्ता, डॉ. दीपा अगाशे, डॉ. दिव्येंदु दास, डॉ. वलिउर रहमान, प्रो. अर्कप्रभा बसु, प्रो. सब्यसाची मुखर्जी, प्रो. श्वेता प्रेम अग्रवाल, डॉ. सुरेश कुमार, प्रो. अमित कुमार अग्रवाल, प्रो. सुरहुद श्रीकांत मोरे, अंकुर गर्ग और प्रो. मोहनशंकर शिवप्रकाशम को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त सीएसआईआर की टीम – एरोमा मिशन को विज्ञान टीम पुरस्कार प्रदान किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार

