आध्यात्मिकता विश्व समुदाय को भारत की अमूल्य भेंट : राष्ट्रपति
नई दिल्ली, 22 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि आध्यात्मिकता विश्व समुदाय को भारत की अमूल्य भेंट है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में समय-समय पर महान आध्यात्मिक विभूतियों ने सदाचार, करुणा और परोपकार का संदेश प्रसारित किया है।
राष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग के 42वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया और संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि श्री सत्य साईं बाबा एक ऐसे महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने पुट्टपर्थी के क्षेत्र को पवित्र किया। उनके आशीर्वाद से देश-विदेश के करोड़ों लोग लाभान्वित होते रहे हैं और आगे भी लाभान्वित होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तित्वों की शिक्षा की अवधारणा हमारी महान परंपराओं को जीवंत बनाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जीवन मूल्यों और नैतिकता की शिक्षा ही वास्तविक शिक्षा है। प्रत्येक छात्र में सत्य, सदाचार, शांति, स्नेह और अहिंसा के मूल्यों को विकसित करना समग्र शिक्षा का मुख्य लक्ष्य है। राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों को मौलिक महत्व देता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति संस्थान का समग्र दृष्टिकोण बहुत प्रभावशाली है। शिक्षा के स्थान पर शिक्षा-देखभाल की अवधारणा अत्यंत उपयोगी एवं सार्थक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान ने शिक्षा प्रक्रिया में शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक आयामों को शामिल किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस संस्थान के छात्र पेशेवर रूप से सुदृढ़, सामाजिक रूप से जिम्मेदार और आध्यात्मिक रूप से जागरूक व्यक्तित्व विकसित करने में सफल होंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे श्री सत्य साईं बाबा के मूल्यों और शिक्षाओं का प्रसार करें और आधुनिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास के उदाहरण पेश करें।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।