महाराष्ट्र विधान परिषद की शताब्दी काल पर लिखी पुस्तक का राष्ट्रपति 29 काे करेंगी विमाेचन

WhatsApp Channel Join Now
महाराष्ट्र विधान परिषद की शताब्दी काल पर लिखी पुस्तक का राष्ट्रपति 29 काे करेंगी विमाेचन


महाराष्ट्र विधान परिषद के शताब्दी काल के महत्वपूर्ण संदर्भ को संकलित करने का प्रयास है यह पुस्तक: राहुल नार्वेकर

मुंबई, 24 जुलाई (हि.स.) । महाराष्ट्र विधान परिषद की शताब्दी काल पर लिखी गई उच्च सदन की आवश्यकता एवं महत्व नामक पुस्तक का विमोचन 29 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू करेंगी। यह जानकारी विधानसभा के अध्यक्ष एडवोकेट राहुल नार्वेकर और विधान परिषद उपसभापति डॉ. नीलम गोरे ने बुधवार को विधान भवन में एक पत्रकार वार्ता में दी।

नार्वेकर ने बताया कि यह कार्यक्रम विधान भवन के सेंट्रल हॉल में अपरान्ह 3.30 बजे से सायं 5.00 बजे तक आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, उपाध्यक्ष नरहरि जिरवल, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस, अजित पवार, दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष अम्बादास दानवे तथा विजय वडेट्टीवार, संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल उपस्थिति रहेंगे।

राहुल नार्वेकर ने बताया कि वर्ष 1921 से 2021 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के शताब्दी काल के महत्वपूर्ण संदर्भ को पुस्तक के रुप में प्रतिबिंबित करने का प्रयास किया गया है। इन पुस्तकों में उच्च सदन की आवश्यकता एवं महत्व, विधान परिषद द्वारा पारित महत्वपूर्ण विधेयक, संकल्प और नीतियां, विधान परिषद में विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण चर्चा, एक सौ साल, एक सौ भाषण शामिल हैं। इनमें से पहली पुस्तक का विमोचन 29 जुलाई को किया जाएगा, जबकि तीन अन्य किताबों पर अभी काम चल रहा है। इस पुस्तक संकलन समिति में वरिष्ठ पत्रकार विलास मुकादम, योगेश त्रिवेदी, दिनेश गुणे, संजय जोग, उदय तनपाठक, किशोर आप्टे और शीतल करदेकर को सदस्य नियुक्त किया गया है। 29 जुलाई को प्रकाशित पुस्तक का संकलन एवं संपादन वरिष्ठ पत्रकार किशोर आप्टे एवं शीतल कार्देकर ने किया गया है।

राहुल नार्वेकर ने बताया कि भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत बॉम्बे विधान परिषद की पहली बैठक मोंटेग-चेम्सफोर्ड आयोग की सिफारिशों के अनुसार 19 फरवरी, 1921 को टाउन हॉल बॉम्बे में आयोजित की गई थी। उस समय विधान परिषद के सभापति के रूप में नारायण गणेश चंदावरकर की नियुक्ति एक ऐतिहासिक घटना है। परिषद ने वर्ष 1862 से 1920 तक बंबई के गवर्नर की अध्यक्षता में कार्य किया। वर्ष 1921 में नारायण चंदावरकर अध्यक्ष नियुक्त होने वाले पहले भारतीय थे। तदनुसार, वर्ष 1921 से 2021 तक को महाराष्ट्र विधान परिषद का शताब्दी काल माना जाना चाहिए। हालाँकि, वर्ष 2019 में कोविड-19 की महामारी के कारण हम उस समय इस शताब्दी महोत्सव समारोह को नहीं मना सके थे। इस अवसर पर राष्ट्रमंडल संसदीय बोर्ड, महाराष्ट्र शाखा, विधान भवन, मुंबई की ओर से उत्कृष्ट सांसद और उत्कृष्ट भाषण पुरस्कार वितरित किये जायेंगे। दोनों सदनों के माननीय सदस्यों एवं विधान परिषद के पूर्व सदस्यों को सेंट्रल हॉल, विधान भवन, मुंबई में आमंत्रित किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव / सुनील कुमार सक्सैना

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story